Homosexuality and Unnatural Sex Relations-16 : अप्राकृतिक यौन संबंध या समलैंगिकता-लोग क्या कहते हैं

      अप्राकृतिक यौन संबंध या समलैंगिकता आखिर क्या है? मेडीकल साइंस, मनोचिकित्सक, धर्मगुरू, सामाजिक शास्त्री या फिर कानून विशेषज्ञ इस पर अलग-अलग राय रखते हैं। लेकिन यह जान लेना भी बहुत जरूरी है कि आखिर वे लोग क्या कहते हैं, जिनका रूझान इसी तरह के संबंधों से है। यानि जो अप्राकृतिक यौन संबंधों या समलैंगिकता को हर तरह से उचित बताते हैं तथा इसे केवल सेक्स च्वायस कहते हैं। जो यह कहते हैं कि उन्हें अपने ढंग से सेक्स करने की छूट मिलनी चाहिए तथा उनके रास्ते में कानून, धर्म या समाज को रोड़ा नहीं अटकाना चाहिए। 

हमने ऐसे अनेक लोगों से बात की है, जो अप्राकृतिक यौन संबंधों या समलैंगिकता के पक्षधर हैं तथा जिनका रूझान ऐसे संबंधों की ओर है। वे क्या कहते हैं, आइए इस अध्याय में जानने का प्रयास करते हैं। जिन लोगों ने बातचीत में उनका नाम प्रकाशित न करने को कहा है, तो हम भी इनकी पहचान छिपा रहे हैं तथा उनका नाम बदलकर यहां उनके विचार बता रहे हैं ताकि पाठकों को उनकी प्रतिक्रिया से भी अवगत करवाया जा सके। लेकिन जिन्होंने नाम न छिपाने की बात नहीं कही, उनका असली नाम यहां छापा जा रहा है।

आफिया कुमार 

दिल्ली में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की छात्रा अफिया कुमार बताती हैं कि जब वे 19 साल की थीं, तभी उनमें कामुकता का एक विशेष रुझान शुरू हो गया था। उन्हें एहसास हो गया कि वे कामुकता के मामले में स्त्री या पुरुष की श्रेर्ीि में नहीं आतीं बल्कि उनकी कामुकता दोनों लिंगों के प्रति है। वे जान गईं कि वे बायोसेक्सुअल अर्थात उभयलिंगी हैं। उन्होंने 21 साल की उम्र में अपनी बड़ी बहन को अपनीे दोहरी कामुकता के बारे में बताया। लेकिन उन्होंने इस विषय पर बातचीत करने से ही इंकार कर दिया। लेकिन बाद में उनकी मां ने उनके इस रूझान पर गौर किया और स्वीकार किया कि वे बायोसेक्सुअल हैं।

कुमार स्पष्ट करती हैं कि परिवार में उनकी लैंगिकता पर बहस, वोट या चर्चा अधिक नहीं हुई। जब वे 24 साल की हुईं तो यह जानकर उनका उत्साह बढ़ा कि उनके जैसे लोगों की संख्या काफी थी। जब वे अपने जैसे लोगों से मिलीं तो उन्हें यह पता चला कि बायोसेक्सुअल होना एक सामान्य बात है तथा यह कोई शारीरिक विकृति नहीं है। वे कहती हैं ‘मैं कोई लंपट नहीं हूं, न ही मैं कायर हूं। और उभयलिंगी या समलिंगी होना कोई लंपटता या कायरता नहीं है। 

मैं अनूठा हूं

लगभग 40 वर्षीय रंगमंच कलाकार अÐय खन्ना के घुंघराले बाल और भिंची हुई आंखें हंै। वे खुद को ‘अनूठा’ बताना पसंद करते हैं। वे साफ कहते हंैं, ‘मुझे लैंगिक पहचान की जरूरत नहीं महसूस होती है।’ वे अपने उन समलिंगी दोस्तों से नफरत करते हैं जो उन्हें कायर कहते हैं। और विपरीतलिंगी उन पर आरोप लगाते हैं कि वे बायोसेक्सुअल बनना चाहते हैं क्योंकि यह सुनने में आकर्षक लगता है। लेकिन खन्ना का कहना है कि मुझे लैंगिक पहचान की जरूरत आज तक नहीं पड़ी।

भारत में बायोसेक्सुअल लोगों के लिए अनेक वैबसाइटें चल रही हैं, जिनमें  प्लैनेट रोमियो डॉटकॉम, मंजम डॉटकॉम, गेडिया डॉटकॉम, शाइबी डॉटकॉम, वियर्डटाउन डॉटकॉम, बाइक्युपिड डॉटकॉम जैसी अनेक इंटरनेट साइटें  शामिल हैं। इन पर अप्राकृतिक यौन संबंधों के इच्छुक लोग अपनी खुली तस्वीरें जारी करते हैं।

मैं बायोसेक्सुअल हूं

नोयडा में रहने वाले 45 वर्षीय राजेंद्र माथुर एक बिजनेसमैन हैं। वे कहते हैं कि उन्हें लड़कियों और लड़कों दोनों के साथ ही सेक्स करके आनंद आता है। वे बताते हैं कि उनकी तीन गर्लफ्रेंड (दो विवाहित) और सात ब्वॉयफ्रेंड हैं। उनका कहना है कि वे आर्गी यानि ग्रुप सेक्स का चाव रखते हैं। उनके दोस्त आर्गी पार्टी अक्सर करते रहते हैं, जिसमें लड़के भी होते हैं और लड़कियां भीं। कई विवाहित महिलाएं भी आर्गी में शामिल होती हैं। हम सभी आपस में मिलकर सेक्स करते हैं तथा इसमें पुरुष और स्त्री का भेद ही खत्म हो जाता है। उनका कहना है कि सेक्स केवल सेक्स है। बायोसेक्सुअल होना कोई बीमारी नहीं है। वे शारीरिक और मानसिक तौर पर बिल्कुल स्वस्थ हैं। 

मर्दों से खेलना अच्छा लगता है

भारतीय सेना से रिटायर्ड मेजर संदीप राही का कहना है कि उन्हें महिलाओं के शरीर में कोई दिलचस्पी नहीं है तथा उन्हें मर्दों के शरीर से खेलने में आनंद मिलता है। उनका कहना है, ‘मैं स्पष्ट कहता हूं कि मुझे गुदा मैथुन, शरीर का स्पर्श, चुंबन,गुप्तांगों का प्रदर्शन, हस्तमैथुन, मुख मैथुन, अंडरवियर में खेल, वगैरह में पूरी-पूरी दिलचस्पी रहती है। वे कहते हैं कि ऐसे कामों के लिए मुझे कभी भी जगह की कोई समस्या सामने नहीं आई, लेकिन मैं अपने घर को ऐसे कामों के लिए प्रयोग नहीं करता। संदीप राही विवाहित हैं तथा उनके दो बच्चे भी हैं। अपनी पत्नी से वे बहुत प्रेम करते हैं लेकिन साथ ही कहते हैं कि जो आनंद उन्हें पुरुषों के साथ मिलता है, वह पत्नी के साथ नहीं।  वे बताते हैं कि दिल्ली और मुंबई के तरक्कीशुदा युवकों और युवतियों के बीच सेक्स को लेकर अनेक तरह की पार्टियां आजकल लोकप्रिय हो रही हैं। 

दलाल रामप्रसाद 

दिल्ली और गुड़गांव के निजी घरों या फार्महाउसों में होने वाली स्पेशल पार्टियों के लिए लड़कियां और पुरुष वेश्या सप्लाई करने वाले एक दलाल राम प्रसाद का कहना है कि कई विवाहित जोड़े एक साथ लड़के और लड़कियों की मांग करते हैं। ग्रीन पार्क के एक व्यवसायी जोड़े ने, जो 12 साल से विवाहित है और जिसके दो बच्चे हैं, नाम न छापने की शर्त पर बताया है कि वे अपनी बायोसेक्सुअल्टी को लेकर सहज हैं।  हम पुरुष और स्त्री को भाड़े पर लेते हैं और हम सब एक साथ सेक्स करते हैं। 

    पुलिसवाला

दिल्ली पुलिस में तैनात सतबीर चौधरी एक सिपाही है, जो मूल रूप से हरियाणा का निवासी है। वह भी बायोसेक्सुअल है। उसका कहना है कि पिछले साल शादी हुई है। स्त्री और पुरुष दोनों के साथ ही सेक्स में आनंद मिलता है। उनका कहना है कि जब वे बच्चे थे तो गांव के स्कूल में पढ़ा करते थे तथा लड़कों को आपस में सेक्स करते हुए, हस्तमैथुन या मुखमैथुन करते हुए देखते थे। धीरे-धीरे उनमें भी यह प्रवृति पनपने लगी। उन्हें एक लड़की से भी प्यार हुआ, लेकिन वह उन्हें नहीं मिली। उनका कहना है कि सेक्स के बिना नहीं रहा जाता। घर कभी-कभी जाना होता है। इसलिए यहां लड़कों से ही टाइम पास करना पड़ता है। यह पूछे जाने पर कि सेक्स के लिए लड़के कहां से आते हैं, तो वे हंसकर कहते हैं कि पुलिस वालों को सेक्स के लिए लड़के सड़कों पर ही मिल जाते हैं। एक उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि एक बार जब वे शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों की जांच कर रहे थे तो एक जोड़े से उनका परिचय हुआ। उन्होंने उन्हें अपने घर आमंत्रित किया। वहां एक और जोड़ा मौजूद था। हमने वहां जमकर ग्रुप सेक्स किया। उनका कहना है कि उन्हें तरह-तरह के लोग मिलते हैं तथा ऐसे संबंध बनते रहते हैं।

      शैफाली

चंडीगढ़ में प्रख्यात ग्राफिक डिजायनर 26  वर्षीय शेफाली (अनुरोध पर बदला हुआ नाम) का जीवन बड़ा जटिल है। उनके कई पुरुष सेक्स पार्टनर हैं जो नहीं जानते कि उनकी एक समलिंगी महिला पार्टनर है। यह महिला पार्टनर शेफाली के ब्वॉयफ्रेंड से जलती है और धमकी देती रहती है कि वह शेफाली का भांडा फोड़ देगी। परेशान शेफाली कहती हैं कि मैं अपनी गर्लफ्रेंड को समझती हूं कि मुझे दोनों की जरूरत है लेकिन वह कहती है कि मैं एक को चुन लूं। अब मैं ठहरी बायोसेक्सुअल। मुझे तो मर्द भी चाहिएं और औरतें भीं।

लिंग वाली औरतें और योनि वाले पुरुष

तीस वर्षीय विशाल जयपुर में रहते हैं तथा एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करते हैं। उनका कहना है कि वे इंटरनेट पर पोर्न देखना बहुत पसंद करते हैं। उन्होंने हजारों पोर्न फिल्में देखी हैं, जिनमें लिंग वाली औरतें योनि वाले पुरुषों से सेक्स कर रही होती हैं। शी-मेल और ही-फिमेल का सेक्स देखना उन्हें बहुत पसंद है। उन्होंने बहुत कोशिश की कि उन्हें कोई इंटरसेक्स व्यक्ति मिले तो वे अनूठे सेक्स का मजा लें। लेकिन अभी तक नहीं मिला। उनका कहना है कि वे तीन साल से विवाहित जीवन जी रहे हैं। उनका दो साल का बेटा भी है। उनका प्रेम विवाह हुआ लेकिन उनकी पत्नी को मालूम नहीं है कि विवाह से पहले और बाद में भी उनके सेक्स संबंध पुरुषों के साथ रहे हैं। वे कहते हैं ‘मेरी उभयलैंगिकता एक गुप्त चीज है और मैंने इसे पत्नी से छिपाकर रखा है। वह इसे कभी नहीं समझ पाएगी। वे कबूल करते हैं कि पुरुष के प्रति उनकी चाह एक ऐसी क्रिया है जो पत्नी के साथ सेक्स संबंध को ताकत देती है। वे कहते हंैं, ‘मुझे दोनों की जरूरत है।’ वे एक ऐसे शख्स हंैं जिसकी प्राथमिकताएं स्पष्ट हैं ः मर्दाना किस्म के पुरुष के साथ मौखिक सेक्स। स्त्रैर् िकिस्म के पुरुष उनकी कामुकता की चाहत को बुझा देते हंैं। 

मेरा डॉगी देता है आनंद

दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा रह चुकीं सुनंदा बताती हैं कि वे चूंकि सुंदर नहीं हैं, इसलिए उन्हें अभी तक किसी ने पसंद नहीं किया और उनकी शादी नहीं हो सकी। उनके घर में एक पालतू कुत्ता है, जिसका प्रयोग वे सेक्स के लिए करती हैं। कुत्ता उनके यौनांगों को चाटता है और सेक्स भी करता है। इसमें जो आनंद आता है, उसका शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता। उनका कहना है कि एक लड़के ने भी उनके साथ सेक्स किया था, लेकिन उसमें वह आनंद नहीं आया, जो डॉगी के साथ आता है। उनका कहना है कि उनकी अनेक सहेलियों से उनके समलैंगिक संबंध भी हैं। जब वे कभी घर आती हैं या मैं उनके घर जाती हूं तो हम आपस में सेक्स करते हैं। इसके लिए हम डिल्डो का प्रयोग करते हैं। उनका कहना है कि उन्होंने वायबे्रटिड डिल्डो खरीद रखा है जो उन्हें विशेष आनंद देता है।

भेड़-बकरियों से करता हूं

सोनीपत जिले के एक गांव का निवासी है सुंडू। उसकी उम्र चालीस की हो गई है, लेकिन उसका अभी तक विवाह नहीं हुआ। सुंडू का कहना है कि वह तो बरसों से भेड-बकरियों के साथ सेक्स करता है। उसका कहना है कि उसे पशुओं से सेक्स करने का कोई शौक नहीं है। अगर उसकी शादी हो जाए तो वह इस गंदी आदत को छोड़ना चाहता है। यह पूछे जाने पर कि क्या कभी लड़की के साथ सेक्स किया तो उसने बताया कि गंाव का माहौल ही ऐसा है। कभी मौका ही नहीं हाथ लगा। भेड़ बकरियों के साथ तो जंगल में कहीं भी ऐसा किया जा सकता है।

इन विद्वानों की भी सुनें ः

डॉ. एल. रामकृष्र्नि

चेन्नई के डॉ. एल. रामकृष्णन का स्पष्ट कहना है ः ‘जो लोग अपनी स्वच्छंदता को ढकने के लिए उभयलैंगिकता का बहाना बनाते हंैं वे वास्तव में अपने कर्मों के लिए दूसरों को दोषी ठहराना चाहते हैं।’ वे बायोसेक्सुअल यानि उभलिंगियों के पक्ष में बोलने वाली सशक्त आवाज हैं, जो नैतिकता का झंडा उठाने वालों का विरोध करते हैं। वे ‘सॉलिडैरिटी ऐंड एक्शन अगेंस्ट एचआइवी इन्फेक्शन इन इंडिया’ (साथी) के कार्यक्रम एवं शोध विभाग के अध्यक्ष रहे हंैं। वे विरोध जाहिर करते हुए कहते हंै कि कामुकता, एकपत्नीत्व या एकपतित्व, बहुकामुकता (सबकी सहमति से एक समय में एक से ज्यादा व्यक्ति से सेक्स संबंध बनाना या उसकी इच्छा रखना या उसे मान्य करना), बेवफाई, प्रतिबद्धता, स्वच्छंदता या ब्रह्मचर्य से तय नहीं होती।

आशीश नंदी

प्रसिद्ध समाजविज्ञानी आशीष नंदी ने भारत में पुरुषों की कामुकता पर जो विस्तृत अध्ययन किया है उसमें उनका कहना है कि भारत में घरों में समलैंगिकों और उभयलिंगियों के बीच हालांकि तनाव रहता है, समलैंगिकों का मानना है कि उभयलिंगी लोगों के दोनों हाथों में लड्डू हैं जबकि समाज की मुख्यधारा समलैंगिकों को ऐसे बिगड़ैलों के रूप में लेती है जो स्त्री से विवाह पसंद नहीं करते या इतरलैंगिकों के समाज से तालमेल नहीं बिठा पाते। नंदी का कहना है कि इतरलिंगी लोग उभयलिंगियों को समलंैंगिकता की ओर बढ़ने वाले शख्स मानते हंैं और समलैंगिक तथा सामान्य पुरुष उभलिंगियों को अवसरवादी स्वेच्छाचारी मानते हंैं जो अपनी कुत्सित इच्छाओं को पूरा करने के लिए मनमाना आचरर् िकरते हैं। वे कहते हंैं, ‘तुम लोग तो दोनों मजे लूटते हो लेकिन असलियत में यह धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का वाली स्थिति है। 

जिन बायोसेक्सुअल यानि उभयलिंगियों से बात की गई उनमें से प्रायः सबने कबूल किया कि उन्हें दोहरे भय से निबटना पड़ता है। विपरीतलिंगियों यानि इतरलिंगियों और समलैंगिकों, दोनों के विरोध से। मुंबई के हमसफर ट्रस्ट ने 274 एमएसएम (पुरुष के साथ सेक्स करने वाले पुरुष) के बीच एक अध्ययन किया जिससे जाहिर हुआ कि उनमें से 40 फीसदी ने स्त्री के साथ सेक्स किया और उनमें से आधे तो नियमित तौर पर ऐसा कर रहे थे। ट्रस्ट के पदाधिकारी कहते हैं कि 20 प्रतिशत एमएसएम में एचआइवी संक्रमर् िका खतरा रहता है। बड़ी समस्या यह है कि इस समूह में से कई महिला से विवाहित हंैं और एकपत्नीत्व वाले वैवाहिक संबंध में एचआइवी संक्रमर् िके लिए पुल का काम करते हैं। 

भारत में उभयलैंगिकता भौगोलिक अथवा वर्ग केंद्रित नहीं होती। डॉ. रवि वर्मा और मार्टिन कॉलंबिएन ने 2004 में एक अध्ययन किया था, जो एड्स पत्रिका के 18वें अंक में प्रकाशित हुआ था। यह भारत के 2ए910 ग्रामीर् िपुरुषों के बीच किया गया था, जो विभिन्न तबकों के थे। इसमें पहचान या परवरिश पर ध्यान नहीं दिया गया। इसमें पाया गया कि पुरुष पार्टनर रखने वाले पुरुषों की जितनी महिला पार्टनर थीं उनकी संख्या केवल महिला पार्टनर रखने वाले पुरुषों की महिला पार्टनर से ज्यादा थी। उभयलिंगी पुरुषों में महिलाओं के साथ विवाहेतर सेक्स का अनुपात 52ण्8 प्रतिशत का था जबकि दूसरे विवाहित पुरुषों में यह अनुपात मात्र 11ण्6 प्रतिशत का था। इसके अलावा, पुरुष पार्टनर रखने वाले कुंआरों में 41ण्5 प्रतिशत ने माना कि उनकी महिला पार्टनर भी हैं, जबकि समलैंगिक रूप से सक्रिय न रहे (जिन्होंने पिछले एक साल में किसी पुरुष के साथ सेक्स संबंध न बनाया हो) पुरुषों में 24ण्5 प्रतिशत ने ही माना कि उनकी महिला पार्टनर हैं। 

नई दिल्ली में इंस्टीट्यूट ऑफ ह्युमन बिहेवियर ऐंड एलायड साइंसेज में क्लीनिकल साइकोलॉजी के प्रोफेसर तेज बहादुर सिंह इसे एक तरह के मनो-कामुकता का नतीजा बताते हैं कि कुछ लोग जीवन के शुरू के वर्षों में मजे के लिए या बस प्रयोग के लिए पुरुष के साथ सेक्स करते हंैं, या कुछ लोगों ने बचपन में यौन दुव्र्यवहार सहा हो। डॉ. सिंह कहते हैं कि हाल के शोध बताते हैं कि इसके साथ कुछ आनुवंशिक पहलू भी जुड़ा है।  भारतीय कामुकता उभयलैंगिकता के अनुभव से गुजर रही है। दो के मिलने से भीड़ बनती हो, मगर तीन का साथ सुहाना साबित हो रहा है।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि हमने जितने भी अप्राकृतिक यौन संबंध या समलैंगिक संबंध बनाने वालों से बात की, उन्होंने इसे बीमारी नहीं माना तथा सामान्य सेक्स संबंध ही बताए। लेकिन जब कुछ विद्वानों से बात की गई तो उन्होंने इस विषय में अलग-अलग राय व्यक्त की।

J.K.Verma Writer

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