homosexuality and unnatural sex relations-2 - अप्राकृतिक यौन संबंध की परिभाषा
अप्राकृतिक यौन संबंध किसे कहते हैं और इसकी सही परिभाषा क्या है? यौन संबंधों में कौन-कौनसी गतिविधियां अप्राकृतिक यौन संबंधों के दायरे में आती हैं? प्राकृतिक और अप्राकृतिक यौन संबंधों को किस तरह से परिभाषित किया जाए? कुछ इसी तरह के सवाल तब उठते हैं, जब पुलिस किसी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 377 के तहत मुकदमा दर्ज करती है। तो आइए, सबसे पहले हम प्राकृतिक और अप्राकृतिक यौन संबंधों की सही परिभाषा जान लेते हैं।
प्राकृतिक यौन संबंध केवल उस संबंध को कहते हैं, जिसमें एक ही प्रजाति ;मानव, पशु, पक्षी जैसी पृथ्वी पर अनेकों प्रजातियां हैं द्ध के नर और मादा के बीच प्राकृतिक ढंग से संसर्ग हो। प्राकृतिक ढंग से अभिप्रायः नर के लिंग का मादा की योनि में प्रवेश से है किसी अन्य अंग में नहीं।
अप्राकृतिक यौन संबंध से तात्पर्य उस संबंध से है, जो किसी भी प्रजाति का नर या मादा प्राकृतिक ढंग को छोड़कर किसी अन्य तरीके से यौनानंद लेता है, नर-नर के साथ या मादा-मादा के साथ यौन संबंध कायम करती है, अपनी प्रजाति को छोड़कर किसी अन्य प्रजाति के नर या मादा से यौन संबंध बनाए जाते हैं या फिर किसी भी प्रजाति के नर या मादा के शरीर के किसी अंग में लिंग के अलावा कोई अन्य वस्तु प्रवेश कराई जाती है।
सभी तरह के समलैंगिक सबंध, यौन संबंधों के लिए गलत अंग का प्रयोग, किसी भी पशु या पक्षी से यौनाचार तथा किसी बालक या बालिका से कुकर्म करना अप्राकृतिक यौन संबंधों के दायरे में ही आता है।
अनेक देशों में समलैंगिक संबंधों को कानूनी मान्यता प्राप्त है, जबकि भारत में दो बालिगों के आपसी रजामंदी से हुए समलैंगिक सबंधों को कानूनन जायज माना गया है। बाकी तरह के अप्राकृतिक यौन संबंधों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इसके बावजूद सच्चाई यह है कि समलैंगिक संबंधों, अप्राकृतिक ढंग से मैथुन, पशु-पक्षियों से यौनाचार या बच्चों से कुकर्म से कोई भी देश अछूता नहीं है। किसी देश में कम, तो किसी में ज्यादा अप्राकृतिक यौन संबंध के मामले आए दिन सामने आते हैं। अन्य देशों की तरह भारत में भी इस तरह के संबंध अजूबा नहीं हैं।
नेशनल कांफ्रेंस में दिखती है सच्चाई की झलक
सेक्स से जुड़ी समस्याओं का हल तलाश करने के लिए अनेक देशों में समय-समय पर कांफ्रेस आयोजित की जाती हैं। भारत में अब तक ऐसी तीस काफ्रंेस हो चुकी हैं। इस देश के अलग-अलग शहरों में नेशनल कांफ्रेस ऑॅफ सेक्सोलॉजी का आयोजन किया जाता है। ऐसी कांफ्रंेस में विभिन्न देशों से आए स्पेशलिस्ट सेक्स से जुड़े मुद्दों को गंभीरता से उठाते हैं। 26वीं नेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ सेक्सॉलजी का आयोजन तीन से पांच सितंबर, 2010 के बीच चेन्नई में किया गया था, जिसमें अप्राकृतिक यौन संबंधों के मुद्दे को बहुत ही गंभीरता से उठाया गया था। इस काफ्रेंस में जहां समलैंगिकता के कारण खोजे गए थे, वहीं दक्षिर् िभारत के ग्रामीर् िइलाकों में युवकों द्वारा भैंसों के साथ सेक्स करने और महिलाओं के डॉगी को तवज्जो देने जैसे मामलों पर भी गंभीर चिंतन हुआ था।
अमेरिका से आए सेक्स थेरपिस्ट हनी मिलेत्स्की ने कांफ्रेंस में अप्राकृतिक यौन सबंधों से जुड़े कुछ सवाल उठाए थे। खासकर पशुओं से सेक्स करने की प्रवृत्ति का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया था कि गांवों में जहां लोग पशुओं के करीब होते हैं, पशु मैथुन के मामले ज्यादा देखे जाते हैं। हालांकि कांफ्रेंस में लंबी बहस के बाद इनके सही या गलत होने के बारे में कोई नतीजा नहीं निकल पाया था। लेकिन यह नोट किया गया था कि भारत में भारतीय दंड संहित की धारा 377 (अप्राकृतिक यौन संबंध) के मुताबिक यह दंडनीय अपराध है। लेकिन यह बात भी स्थापित हो गई कि भारत में भी ऐसी बातें अजूबा नहीं हैं। अच्छी खासी तादाद में ऐसे मामले देखने को मिलते हैं।
चेन्नई के डॉ. नारायर् िरेड्डी का कांफ्रंेस में कहना था कि छह महीने पहले वेल्लोर से एक यंग कपल उनके पास आए थे। कपल की शादी को 5 साल हो गए थे, लेकिन उनके बीच कभी सेक्स नहीं हुआ था। डॉ. रेड्डी के मुताबिक जब उन्होंने इस केस पर गौर किया और अपने ढंग से दोनों से अलग-अलग बात की तब पता चला कि 29 साल का वह युवक सेक्स के लिए भैंसों को पसंद करता है। पिछले कई वर्षों से वह अपनी उम्र के अन्य युवकों के साथ मिलकर मादा भैंसों के साथ सेक्स करता था।
एक अन्य मामले का जिक्र करते हुए डॉ. रेड्डी ने ऊंचे परिवार की एक महिला के बारे में बताया था कि जब भी उसका पति सेक्स चाहता था, वह उसको टालकर कुत्ते से सेक्स करना अधिक आनंददायी समझती थी। डॉ. रेड्डी का कहना था कि ऐसे मामलों में सही-गलत का नजरिया अपनाना मुश्किल होता है। हम अपने क्लायंट से पूछते हैं कि वह चाहते क्या हैं? ज्यादातर मामलों में लोग शादी को बचाने की कोशिश करते हैं और हम उनकी मदद करते हैं।
बात समलैंगिकों की
अब यह बात तो रही पशुओं से अप्राकृतिक संबंधों की, अगर बात समलैंगिकों की जाए तो अकेले भारत में इस समय 25 लाख के करीब समलैंगिक हैं, जो विपरीतलिंगी के साथ यौन संबंध नहीं जोड़ना चाहते, बल्कि अपने ही लिंग के व्यक्ति में उन्हें आनंद का अनुभव होता है। इनमें से लगभग पांच लाख समलैंगिक तो स्पष्ट दिखाई देते हैं, जबकि शेष ढंके-छुपे हुए हैं। बच्चों से यौन संबंध के मामले तो आए दिन प्रकाश में आते रहते हैं। समलैंगिकों ने तो भारत में एक बहुत बड़ा संगठन भी बना रखा है और भारत सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश भी की जा चुकी है कि वह समलैंगिक संबंधों को वैद्यता प्रदान करे।
अप्राकृतिक संबंधों और समलैंगिकता का विषय बहुत विस्तृत है तथा इसके अनेक पहलू हैं, जिनके बारे में हम आगामी Blogs में विस्तार से जानेंगे।
बहरहाल अगले BLOG में हम पढ़ेंगे कि अप्राकृतिक यौन संबंधों को अपनाने वाले व्यक्ति कितने प्रकार के होते हैं? ये व्यक्ति किस तरह यौन क्रियाएं करके आनंद का अनुभव करते हैं?
Copywrite : Writer J.K.Verma
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