Homosexuality and Unnatural Sex Relations-20 : अप्राकृतिक यौन संबंध व समलैंगिकता : गे या लेस्बियन क्लब

   अप्राकृतिक संबंधों को फैलाने में सोशल नेटवर्किंग साइट्स भी नहीं हैं पीछे

अप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता पर भारत में पूरी तरह से रोक है। गे या लेस्बियन क्लब खोलना, अप्राकृतिक यौन संबंधों का विज्ञापन करना  या ऐसी सेवाएं देने का कुप्रयास करना भी गैरकानूनी है। लेकिन यह सब भारत में न केवल चल रहा है, बल्कि खुलेआम चल रहा है। चल भी ऐसे माध्यमों से रहा है, जिस पर या तो भारत सरकार का कोई नियंत्रण ही नहीं है या फिर वह नियंत्रण करना नहीं चाहती।

इंटरनेट के माध्यम से अप्राकृतिक यौन संबंधों और समलैंगिकता की कैसी-कैसी वैबसाइट्स और कैसा खुला खेल देश में चल रहा है, इसकी चर्चा हम पीछे कर चुके हैं। इस अध्याय में हम यह बताना चाहते हैं कि जिन्हें हम सोशल नेटवर्किंग साइट्स के रूप में जानते हैं, वे भी अप्राकृतिक यौन संबंध और समलैंगिकता फैलाने में बहुत बड़ा रोल अदा कर रही हैं। इन साइट्स में अनेक ऐसी हैं, जो एंडरायड मोबाइल फोनों में भी चलती हैं। इन साइट्स में अप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता के स्पेशल पेज बनाकर अपलोड किए जा रहे हैं, जिनसे ऐसे संबंध बनाने वालों को एक दूसरे की पूरी जानकारी ही नहीं मिलती, बल्कि ये चैटिंग से ऐसे संबंधों पर खुलकर चर्चा भी कर लेते हैं। बाद में ये लोग मिलने का स्थान तय कर लेते हैं तथा ऐसे संबंधों को अंजाम देते हैं। इतना ही नहीं, इन सोशल नेटवर्किंग साइट्स से गैरकानूनी ढंग से गे और लेस्बियन क्लब चलाने वाले अपना खुला विज्ञापन भी करते हैं। अगर कहा जाए कि वर्तमान में इस तरह के संबंधों का विस्तार करने में सबसे अधिक भूमिका ये साइट्स निभा रही हैं, तो कुछ गलत नहीं होगा।

फेसबुक को ही लीजिए

उदाहरण के लिए सबसे ज्यादा उपयोग में आने वाली सोशल नैटवर्किंग साइट ‘फेसबुक’ की अगर हम बात करें, तो यह इतनी सोशल नहीं है जितनी हम  समझते हैं। दरअसल, इन दिनों फेसबुक सैक्स चैटिंग व अश्लील सामग्रियों वाली ऐसी सैक्सबुक बन चुकी है जहां सैक्सुअल संतुष्टि के नाम पर मनोरोगियों, सैक्सवर्करों और गैर सामाजिक तत्त्वों का जमावड़ा है। जो लोग सेक्स में बहुत 

अधिक रूचि रखते हैं और सोशल नेटवर्र्किंग साइट्स का प्रयोग करते हैं, वे अच्छी तरह से जानते हैं कि फेसबुक की तर्र्ज पर अब ‘फकबुक’ भी बन चुकी है और फेसबुक फॉर सेक्स भी चालू है।  यह कैसे समाज में अश्लीलता, अप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता को बढ़ावा दे रही है, आइए जान लेते हैं।

देश में एक तरफ जहां महिलाओं और लड़कियों के साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ती ही जा रही हैं, वहीं आप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता भी बढ़ती जा रही है। मासूम बच्चों व बच्चियों तक के साथ भी दुष्कर्म किए जा रहे हैं। दिल्ली में दामिनी बलात्कार कांड के बाद 5 साल की गुड़िया के साथ वीभत्स तरीके से दुष्कर्म किया गया। इस पर केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसी ने अपनी छानबीन में बताया कि छेड़छाड़ और बलात्कार की घटनाओं के पीछे इंटरनेट की अश्लील साइटें और सोशल नेटवर्किंग साइट्स सीधे तौर पर जम्मेदार हैं।

खुफिया एजेंसी ने दावा किया कि इंटरनेट का प्रयोग करने वाले 60 फीसदी से भी ज्यादा लोग जहां अश्लील साइटों का इस्तेमाल करते हंैं, वहीं  सोशल नेटवर्र्किंग साइट्स पर विकृत सेक्स का खेल खेला जा रहा है। लोग खुलेआम अपना परिचय गे, लेस्बियन या बायसेक्सुअल के रूप में दे रहे हैं। वे अपनी तरह के लोगों से खुली चैटिंग कर रहे हैं तथा अपने सेक्स संबंध सांझा कर रहे हैं।  खुफिया विभाग ने 546 साइटों तथा कुछ सोशल नेटवर्किंग साइट्स को भी ब्लॉक करने की सिफारिश सरकार से की। 

मनोचिकित्सक भी हैं सहमत

मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि बारबार अश्लील साइटों को देखकर और सेक्स चेटिंग करके युवाओं की सोच विकृत हो रही है। वे सेक्स के नए-नए अनुभव लेने का प्रयास करते हैं, चाहे इस तरह के प्रयोग जानलेवा बीमारियों को ही क्यों न आमंत्रित करते हों। उनका कहना है कि बीते कुछ समय में इंटरनेट और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्र्किंग साइट्स पर अश्लील सामग्री तथा अप्राकृतिक यौन संबंध व समलैंगिकता परोसने का काम तेजी से बढ़ा है।

जाने-माने मनोचिकित्सक सुरजीत सिंह चड्ढ़ा बताते हैं कि एक दौर ऐसा था जब सड़कों पर किताबों की दुकान लगाने वाले पीली पन्नी में बंद सैक्स की कुछ किताबें बेचते थे। ऊपर से रंगीन दिखने वाली इन किताबों के अंदर सब कुछ ब्लैक ऐंड व्ह्नाइट होता था। चित्रों के नाम पर खजुराहो की मूर्तियों के फोटो होते थे। सैक्स के नाम पर वात्स्यायन के 84 आसनों का जिक्र होता था। इसी दौर में मस्तराम टाइप के कुछ लेखकों की सैक्सी कहानियों वाली किताबें आने लगीं जिन के अंदर भी फोटो नहीं होते थे। कवर पर रंगीन फोटो विदेशी महिलाओं की होती थीं। 64 पन्नों की इस किताब को लोग ‘चाैंसठिया किताब’ के नाम से भी जानते थे। ये सभी किताबें ढंग-छिपकर बेची जाती थीं तथा इनके खरीददार इनके गुप्त नाम बताते थे, तब उन्हें यह पुस्तक मिलती थी। कई लोग तो ऐसे दुकानदारों के पास जाकर ‘हनुमान चालीसा’ मांगते थे और बदले में दुकानदार इन्हें एक लिफाफे में डालकर ये पुस्तकें दे देता था।  इस तरह की किताबों में जो कहानियां होती थीं, उनमें विकृत सेक्स की अधिकता होती थी। इनमें अप्राकृतिक यौन संबंध और समलैंगिकता को भी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता था।  90 के दशक की शुरुआत में किताबों की छपाई की क्वालिटी अच्छी हुई तो इन किताबों के रंग भी बदल गए। अब ऐसी किताबों में अच्छे सैक्सी रंगीन फोटो भी छापे जाने लगे।

वक्त के साथ सबकुछ बदला पर सैक्स की घटिया कहानियों का तौर-तरीका वही मस्तराम टाइप ही रहा। अब ऐसा विकृत सेक्स पढ़ने के लिए किताबों की जरूरत ही नहीं है। यह सब इंटरनेट की साइटों व सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर बिखरा पड़ा है। कंप्यूटर, लेपटॉप और मोबाइल फोन में यह सब अच्छी तरह से पढ़ा और देखा जा सकता है।

गरम भाभी से देशी जवानी तक

वैसे तो ऊपर से देखने में फेसबुक एक अच्छी सोशल नैटवर्किंग साइट लगती है पर कुछ ही दिनों में फेसबुक में भी सैक्सी चैटिंग करने वालों ने एक नई दुनिया बना ली। फेसबुक पर केवल रंगीन व सजीव चित्र ही नहीं दिखते बल्कि सैक्सी फिल्में तक अपलोड की जाने लगी हैं, जिनमें अप्राकृतिक यौन संबंधों और समलैंगिकता को खुलकर दिखाया जाता है। यहां मनचाहे ढंग से न केवल ऐसे लोगों से बिना उनका चेहरा देखे बात कर सकते हैं बल्कि उनको अपने हिसाब से फ्रैंडलिस्ट से हटाया और जोड़ा भी जा सकता है। अपनी इसी खासियत के चलते फेसबुक अब सैक्स बुक का नया रूप बन कर समाज में उतर आई है।

चाैंसठिया किताबों, मनमंथन और असमंजस टाइप किताबों की तरह फेसबुक पर भी हॉट सेक्सी गर्ल, देशी भाभी और सिस्टर, लड़कियों की टाइट पैंट, 16 प्लस इंडियन सैक्सी गर्ल, भाभी की कहानियां, हाय रे यह जवानी, गरम भाभी, सैक्सी आंटी, रचना भाभी, नैना भाभी, सैक्सी हाउसवाइफ, जीजा की मस्त साली जैसी तमाम साइटें खुल गई हैं। बहुतों के नाम यहां लिखे नहीं जा सकते।

इन सभी पेजों को लाइक करने वाले बहुत से लोग होते हैं। इंटरनैट पर किसी भी साइट की लोकप्रियता का अंदाजा उस के लाइक करने और उस के विषय में पूछताछ करने वालों की संख्या से लगाया जा सकता है।

कुछ ऐसे ही अकाउंटों के पेज पर जा कर इस को देखने की कोशिश की गई तो यह संख्या हजारों लाखों में मिली। अंजलि भाभी की सैक्सी पाठशाला को पसंद करने वाले 42 हजार से अधिक लोग हैं तो उस के बारे में पूछताछ करने वालों की संख्या 10 हजार से अधिक थी। इसी तरह नेपाली माल को 1ए11ए436 लाइक, 18 प्लस सैक्सी गर्ल को 2ए23ए278 पसंद करने वाले मिल चुके हैं तथा यह संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। सविता भाभी और उस की बहनों को पसंद करने वाले लोगों की संख्या 3 लाख को भी पार कर गई है। बड़ी संख्या में लोग इनके बारे में जानकारी लेना भी चाहते हैं। ऐसे ही जिसको देखा गया उसके पसंद करने वाले और उस के बारे में पूछताछ करने वालों की संख्या हजारों में मिली। इस से यह पता चलता है कि बड़ी संख्या में लोग फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स को इसलिए भी पसंद कर रहे हैं क्योंकि उनमें हर तरह का विकृत सेक्स मौजूद है। अप्राकृतिक यौन संबंध और समलैंगिकता के इच्छुक लोगों को उनके मनपसंद साथी मिल रहे हैं तथा उनके दिमाग में समाया विकृत सेक्स इससे संतुष्ट हो रहा है। इतना ही नहीं, यूट्यूब, व्हाट्सएप्प और गूगल आदि पर भी हर तरह का सेक्स मौजूद है। आप बस किसी भी तरह के सेक्स की कल्पना भर कीजिए और वह वैसा ही मिल भी जाएगा।

    हर वर्ग के लोग हैं शामिल

इन सोशल नेटवर्किंग साइटों के लिए खुद का प्रोफाइल बनाने, उन्हें देखने, पसंद करने और चौटिंग करने वालों में हर वर्ग के लोग शामिल हैं। कुछ प्रोफाइल्स हमने भी देखे हैं, जिनका विवरण इस प्रकार है ः

एक दिल्ली की नेहा पाल है, जिस की उम्र 20 साल है। वह पढ़ाई करती है तथा लड़के और लड़कियों दोनों से दोस्ती करना चाहती है। उसने अपनी प्रोफाइल में साफ लिखा है कि वह बायोसेक्सुअल हैै तथा लड़के और लड़कियों, दोनों से ही चैटिंग करना पसंद करती है। 

32 साल की अंकिता मेरठ की रहने वाली है, दिल्ली में रहती है। वह नौकरी करती है। किसी लड़के के साथ उसकी रिलेशनशिप भी है। वह केवल लड़कियों से सैक्सी चैटिंग पसंद करती है। उसकी सब से अच्छी दोस्त प्रीति रमेश है जो केरल की रहने वाली है, जो दुबई में अपने पति के साथ रहती है। अपने पति के साथ शारीरिक संबंधों पर वह खुल कर गीता से बात करती है। इसके साथ ही दोनों मौका मिलने पर लेस्बियन संबंध बनाना चाहती हैं। ऐसे ही तमाम नामों की लंबी चौड़ी लिस्ट है। इन में से कुछ लड़कियां अपने को खुलकर लैस्बियन मानती हैं ंऔर लड़कियों से दोस्ती और सैक्सी बातों की चैटिंग करती हैं। कुछ हाउसवाइफ भी इस में शामिल हंैं जो अपने खाली समय में चैटिंग करके मन बहलाती हैं। 

चलता है सैक्स वर्कर का खेल

फेसबुक में कुछ ऐसे अकाउंट भी हैं जो अपने को खुलेआम सैक्स वर्कर कहती हंैं या कहते हैं। इनको लोग अपने मोबाइल नंबर तक दे देते हैं। इसके बाद इनकी सीधी बातचीत होने लगती है। कोलकाता की रहने वाली नेहा राय ने अपने अकाउंट में लिखा है कि वह सैक्स वर्कर है। उस का नैटवर्क पूरे देश में है। आप जरूरत के हिसाब से बात कर सकते हैं। नेहा राय के अकाउंट में ऐसे बहुत से नाम जुड़े हंैं जिन्होंने उसे अपने नंबर दे रखे हंैं, जिनमें लड़कियां भी हैं, जिन्होंने उनसे लेस्बियन संबंध बनाने की इच्छा जाहिर की है।

हैदराबाद की रहने वाली शैलजा ओएनजी भी ऐसी ही सैक्स वर्कर की बात करती है। केरल के रहने वाले सेल्वा कुमार ने सैक्स सेवाओं के लिए अपना नंबर दे रखा है। सेलम, तमिलनाडु की रहने वाली सुजाता लव अपने को लेस्बियन हाउसवाइफ बताती है।

मुंबई में रहने वाली कुछ लड़कियां, जो डांस बार से जुड़ी हैं, अपने अलग फेसबुक अकाउंट चलाती हैं। चैटिंग करने के दौरान वे यह जानने-समझने की कोशिश करती हैं कि सामने वाला कैसा आदमी है। अगर उन को अपना काम हल होता दिखता है तो वे बातें बढ़ाती हैं। पहले ईमेल और फिर पैसे लेने-देन की बात शुरू हो जाती है। दिल्ली और विदेशों में रहने वाली बहुत सी औरतों के अकाउंट भी बने हैं।

डा. अनिल कुमार राय इसे मनोरोग मानते हैं। उनका कहना है कि बहुत लोग सामान्य से दिखते हैं पर वे इस रोग के शिकार होते हैं। वे कभी सैक्स की बात करके कभी गंदी-गंदी कहानियां पढ़ कर, चित्र देख कर अपने को संतुष्ट करते हैं। ऐसे लोगों को फेसबुक के रूप में नया जरिया मिल गया है। जहां यह भी नहीं पता होता है कि सामने वाला असली है या नकली। मानसिक संतोष के लिए भी लोग इस का सहारा लेते हैं। फेसबुक तो केवल एक उदाहरण ही है। अन्य सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर भी कमोबेश यही हाल है।

कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स भी अप्राकृतिक यौन संबंध व समलैंगिकता के रूझान को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। इन साइट्स से लोग विकृत सेक्स की ओर अग्रसर हो रहे हैं तथा अंजाने में अपने लिए मुसीबतें पैदा कर रहे हैं।

J.K.Verma Writer 

9996666769

jkverma777@gmail.com

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