Homosexuality and Unnatural Sex Relations-22 : अप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता से जुड़े सवाल-जवाब

  अप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता  से जुड़े सवाल-जवाब

अप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता से जुड़े अनेक ऐसे प्रश्न हैं, जिनके उत्तर से आम आदमी अनभिज्ञ है। अगर इस विषय के बारे में संपूर्ण जानकारी हो तो व्यक्ति का रूझान अप्राकृतिक संबंधों की ओर प्रायः नहीं होता। वह सही समय पर सही, सुरक्षित व प्राकृतिक सेक्स ही करता है, जिससे वह अनेक जानलेवा बीमारियों से बच जाता है तथा समाज में उसका सम्मान भी होता है। इस अध्याय में हम इस विषय से जुड़े सवाल जवाब प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि इस विषय से संबंधित पूरी जानकारी मिल सके।

प्रश्न ः  क्या किन्नरों (हिजड़ा) में सेक्स की इच्छा होती है?

उत्तर ः अक्सर किन्नरों को देखकर बहुत से लोगों के मन में सवाल पैदा होता है कि क्या उनके मन में कभी सेक्स करने की इच्छा होती है। ऐसे लोगों को इस सवाल का जवाब देना जरूरी है कि वह भी साधारर् िपुरुष या स्त्री की तरह ही साधारर् िजिंदगी व्यतीत करते हैं। उनकी सेक्स क्रियाएं सामान्य व्यक्ति की ही तरह होती हैं लेकिन उनको स्त्री के रूप में अपनी पहचान बनाना ज्यादा स्वाभाविक लगता है। ज्यादातर किन्नरों का यौनांग बधिया किया हुआ होता है और वह समलिंगी होते हैं। जिन किन्नरों का बधिया नहीं किया होता वह द्विलिंगी भी होते हैं।

प्रश्न ः  समलैंगिक लोग किस तरह के होते हैं?

उत्तर ः दूसरे लिंग के व्यक्ति की ओर आकर्षित होना तो मानव का स्वभाव माना जाता है जैसे स्त्री पुरुष की ओर आकर्षित होती है और पुरुष स्त्री की और आकर्षित होता है और एक-दूसरे के साथ शारीरिक संबंध बना लेते हैं। लेकिन कई लोग समलैंगिक होते हैं अर्थात वह अपने जैसे सेक्स वाले लोगों के साथ ही शारीरिक संबंध बनाना पसंद करते हैं जैसे स्त्री, स्त्री के साथ संबंध बनाना पसंद करती है और पुरुष, पुरुष के साथ संबंध बनाना पसंद करता है। इस प्रकार की संभोग क्रिया को अप्राकृतिक मैथुन के रूप में देखा जाता है। यह स्थिति किशोरावस्था से शुरू होकर युवावस्था तक बनी रहती है। अक्सर स्कूल-कॉलेज में या दूसरे किसी मौके पर एक ही जगह पर बहुत से पुरुष ही पुरुष या बहुत सी स्त्रियां ही स्त्रियां इकट्ठी होती हैं तो ऐसे समय में आपसी छेड़छाड़ जब शारीरिक छेड़छाड़ की तरफ बढ़ती है और धीरे-धीरे उनमें समलैंगिकता का दौर शुरू हो जाता है। वैसे तो समलैंगिकता पुरुषों और स्त्रियों दोनों में ही पाई जाती है लेकिन फिर भी पुरुषों में समलैंगिकता ज्यादा पाई जाती है।

प्रश्न ः  क्या हस्तमैथुन अप्राकृतिक है? क्या यह हानिकारक है?

उत्तर ः हस्तमैथुन करने का अर्थ है, अपने शरीर के अंगों को इस तरह से छूना-सहलाना जिससे आप चरम आनंद महसूस कर सकें। हस्तमैथुन सबसे सुरक्षित सेक्स की तकनीकों में से एक है। यह स्वयं आनंद प्राप्त करने का एक तरीका है जिसमें एचआईवी या यौन संचारित संक्रमर् िया गर्भधारर् िका कोई खतरा नहीं होता है। यौन चिकित्सकों का मानना है कि यदि आप स्वयं के साथ एक स्वस्थ यौन संबंध बनाने में सक्षम होते हैं तो संभावना है कि आप दूसरों के साथ ज्यादा आनंद अनुभव कर सकेंगें। बावजूद इसके यह क्रिया अप्राकृतिक है।

देखा जाए तो हस्तमैथुन आनंददायक एवं पूरी तरह हानिरहित क्रिया है। महिलाएं एवं पुरुष दोंनों ही हस्तमैथुन करते हैं। कोई कितनी बार हस्तमैथुन करते हैं इस बात का तब तक कोई फर्क नहीं पडता जब तक यह उनके दैनिक कामों में बाधा न उत्पन्न करे या इसमें किसी को भी उनकी मर्र्जी के खिलाफ शामिल न किया गया हो। मेडीकल साइंस के अनुसार हस्तमैथुन का सेक्स जीवन पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। यह व्यक्ति के अधिकारों के निहित एक जायज क्रिया है और हस्तमैथुन करने से कमजोरी नहीं होती, विकास नहीं रुकता, मुहांसे नहीं निकलते और कोई भी मनोवैज्ञानिक ‘विकार’ नहीं होते।

प्रश्न ः  क्या हस्तमैथुन करने से वीर्य की कमी होती है? क्या इससे प्रजनन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है?

उत्तर ः वीर्य में शुक्रार्ुि, द्रव्य एवं प्रोस्टाग्लैंडिन नामक पदार्थ होते हैं। अंडकोष में लगातार वीर्य का उत्पादन होता रहता है। जबकि पुरुष के शरीर में किशोरावस्था के बाद लगातार वीर्य का उत्पादन होता रहता है, इसे शरीर में संग्रहीत करने के लिए पर्याप्त स्थान नहीं होता, इसलिए हस्तमैथुन करने से शुक्रार्ुि के उत्पादन पर कोई असर नहीं होता। हस्तमैथुन आनंददायक एवं पूरी तरह हानिरहित क्रिया है और इससे वीर्य की कमी नहीं होती। अतः प्रजनन क्रिया पर भी इसका कोई असर नहीं होता।

प्रश्न ः क्या हस्तमैथुन करते-करते व्यक्ति इसमें आसक्त नहीं हो जाता? हस्तमैथुन करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

उत्तर ः हस्तमैथुन करने की आदत कोई चिंता की बात नहीं है। हस्तमैथुन करना केवल उस स्थिति में समस्या समझा जा सकता है जब यह आपके रोजमर्रा के जीवन पर प्रभाव डालने लगे या तनाव को दूर करने का यही एकमात्र तरीका बन जाए। हस्तमैथुन करना खुद यौनिक आनंद प्राप्त करने का सबसे सुरक्षित तरीका होता है। हस्तमैथुन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें - 

0 हस्तमैथुन करते समय किसी नुकीली या मैली वस्तु (आपके नाखूनों सहित) का इस्तेमाल न करें। 

0 किसी भी ऐसी वस्तु के इस्तेमाल से बचें, जिसके उपयोग से दर्द या असहजता का अनुभव हो। 

0 कभी-कभी हस्तमैथुन के दौरान घर्षर् ि(रगड़) के कारर् ियौन अंगों की त्वचा में जलन महसूस हो सकती है। चिकनाई युक्त पदार्थ का प्रयोग करने से त्वचा के ऊपर एक सुरक्षा परत बन जाती है और इससे घर्षर् िसे सुरक्षा मिलती है। 

0 कुछ लोग हस्तमैथुन के दौरान सेक्स टॉय का इस्तेमाल करना भी पसंद करते हैं। ऐसे में इनकी साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें क्योंकि इनसे संक्रमर् िका संचारर् िआसानी से हो सकता है। 

0 किसी अन्य व्यक्ति के सामने उनकी सहमति के बिना हस्तमैथुन करना उनके अधिकारों का उलंघन है। 

0 18 वर्ष से कम आयु के किसी व्यक्ति के सामने उनकी मर्र्जी होने पर भी हस्तमैथुन करना यौन शोषर् िकहलाता है और अपराध है।

प्रश्न कनिलिंगस, फलेशियो और ड्राई सेक्स क्या है?

उत्तर ः किसी व्यक्ति द्वारा मुंह या जीभ का प्रयोग करके साथी के यौनिक अंगों को उत्तेजित करने की क्रिया को मुख मैथुन कहते हैं। जब यह किसी महिला पर किया जाता है तो इसे कनिलिंगस कहते हैं और जब यह किसी पुरुष पर किया जाता है तो इसे फलेशियो कहते हैं। योनि सेक्स के दौरान लिंग एवं योनि के बीच घर्षर् िको बढ़ाने के लिए योनि को कपड़े या औषधि से सुखाने की प्रक्रिया को ड्राई सेक्स कहते हैं। कहा जाता है घर्षर् िपुरुषों में आनंद को बढ़ाता है। यह योनि के कटने एवं छिलने की संभावना को भी बढ़ाता है अतः एचआईवी सहित अन्य यौन संचारित संक्रमर्ोिं की संभावना को भी बढ़ाता है।

प्रश्न ः सेक्स, यौनिकता (सेक्शुऐलिटी) और यौनिक पहचान (सेक्शुअल आइडेन्टिटी) जैसे शब्दों का प्रयोग अक्सर होता है। इनका अर्थ क्या है?

उत्तर ः सेक्स महिलाओं एवं पुरुषों के बीच, जन्म से उपस्थित जैविक, संरचनात्मक, शारीरिक एवं गुर्सिूत्री अंतर को दर्शाता है जैसे योनि या लिंग की उपस्थिति, मासिक धर्म या शुक्रार्ुि उत्पादन, आनुवांशिक बनावट में अन्तर आदि। सेक्स शब्द का उपयोग यौन क्रिया को परिभाषित करने के लिए भी किया जाता है जिनमें प्रवेशित योनि मैथुन, मुख मैथुन, गुदा मैथुन, हस्तमैथुन एवं चुम्बन जैसी क्रियाएं शामिल हैं पर सेक्स केवल इन्हीं क्रियाओं तक ही सीमित नहीं है। 

डब्लुएचओ की 2002 की ड्राफ्ट परिभाषा के अनुसार यौनिकता मनुष्य के संपूरर््ि जीवन का महत्वपूरर््ि पहलू है जिसमें लिंग, जेंडर पहचान व भूमिकााएं यौनिक पहचान, कामुकता, आनंद, घनिष्टता एवं प्रजनन सम्मिलित हैं। यौनिकता विचार, परिकल्पना, इच्छा, विश्वास, अभिवृत्ति, मूल्यों, व्यवहार, अनुभव एवं 

संबंधों में महसूस एवं अभिव्यक्त की जाती है। यद्यपि यौनिकता के अंतर्गत उपरोक्त सभी पहलू आते हैं परन्तु सभी एक साथ महसूस एवं अभिव्यक्त नहीं किए जा सकते हैं। यौनिकता पर जैविक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, नैतिक, कानूनी, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक कारकों का प्रभाव पड़ता है। 

दूसरी ओर, किसी व्यक्ति की यौनिक पहचान इस बात से निर्धारित होती है कि वे किस जेंडर के व्यक्ति की ओर यौन आकर्षर् िमहसूस करते हैं। उदाहरर् िके लिए, उनका आकर्षर् िउन्हीं के जेंडर के व्यक्ति के प्रति हो सकता है (समलैंगिक), अपने से अलग जेंडर के व्यक्ति के प्रति हो सकता है (विषमलैंगिक) या एक से अधिक जेडर के व्यक्तियों के प्रति हो सकता है (द्वीलैंगिक)।

प्रश्न ः तो फिर, जेंडर क्या है और यह सेक्स से कैसे अलग है?

उत्तर ः जैसा हमने पहले भी कहा है, सेक्स महिलाओं एवं पुरुषों के बीच, जन्म से उपस्थित जैविक, संरचनात्मक, शारीरिक एवं गुर्सिूत्री अन्तर को दर्शाता है जैसे योनि या लिंग की उपस्थिति, मासिक धर्म या शुक्रार्ुि उत्पादन, आनुवांशिक बनावट में अंतर आदि। दूसरी ओर, समाज महिला एवं पुरुष को जैसे देखता है, जैसे उनमें अंतर करता है तथा उन्हें जो भूमिकाएं प्रदान करता है, उन्हें जेंडर कहते हैं। 

सामान्यतः लोगों से यह उम्मीद की जाती है कि वे उन्हें दिए गए जेंडर को स्वीकार करें और उसी के अनुसार उचित व्यवहार करें। जहां जेंडर से जुड़ी भूमिकाएं सांस्कृतिक एवं सामाजिक अपेक्षाओं के आधार पर होती हैं, वहीं जेंडर पहचान व्यक्ति द्वारा स्वयं तय की जाती है कि वे स्वयं को पुरुष की श्रेर्ीि में रखना चाहते हैं, महिला की श्रेर्ीि में रखना चाहते हैं या किसी भी श्रेर्ीि में नहीं रखना चाहते हैं। संकेतों के एक जटिल समूह के आधार पर किसी व्यक्ति का जेंडर तय किया जाता है जो हर संस्कृति में अलग हो सकता है। यह संकेत अनेक प्रकार के हो सकते हैं, जैसे व्यक्ति कैसे कपड़े पहनते हैं, कैसे व्यवहार करते हैं, उनके रिश्ते किसके साथ हंैं और वे सत्ता का प्रयोग कैसे करते हैं।

प्रश्न ः ट्रांसजेंडर, ट्रांससेक्सुअल, इंटरसेक्स और ट्रांसवेस्टाइट व्यक्तियों में क्या अंतर है?

उत्तर ः ट्रांसजेन्डर व्यक्ति - अपने शारीरिक जेंडर को स्वीकार न करते हुए स्वयं को दूसरे जेंडर का मानने वाले व्यक्ति को ट्रांसजेंडर व्यक्ति कहते हैं। ट्रांसजेंडर व्यक्ति स्वयं को ‘तीसरे सेक्स’ का मान भी सकते हैं और नहीं भी। ट्रांसजेंडर व्यक्ति शारीरिक रूप से पुरुष हो सकते हैं जो स्वयं को महिला मानते हैं और महिलाओं की तरह कपड़े पहनते हैं और वर्ताव या व्यवहार करते हैं। उसी प्रकार, वे शारीरिक रूप से महिलाएं हो सकती हैं जो स्वयं को पुरुष मानते हैं और पुरुषों की तरह कपड़े पहनते हंैं और वर्ताव या व्यवहार करते हैं। यह जरूरी नहीं है कि हर ट्रांसजेंडर व्यक्ति स्वयं को समलैंगिक मानें। 

ट्रांससेक्सुअल व्यक्ति - जो अपने जेन्डर को बदलने के लिए चिकित्सीय उपाय अपनाते हैं और अपने शरीर में बदलाव लाते हैं, उन्हें ट्रांससेक्शुअल व्यक्ति कहा जाता है। शारीरिक जेन्डर को बदलने के लिए ऑपरेशन, हार्मोनयुक्त दवाइयों एवं दूसरी प्रक्रियाओं का सहारा लिया जाता है। वे स्वयं की पहचान समलैंगिक, द्वीलैंगिक या विषमलेंगिक व्यक्ति के रूप में कर भी सकते हैं और नहीं भी। हो सकता है, वे ‘पुरुष से महिला ट्रांससेक्शुअल’ या ‘महिला से पुरुष ट्रांससेक्शुअल’ कहलाना पसंद करें या हो सकता है वे इनमें से किसी भी पहचान का चयन न करें। 

इंटरसेक्स व्यक्ति - ज्यादातर बच्चे जब पैदा होते हैं तो उनके बाहरी यौनांगों को देखकर बताया जा सकता है कि वे लड़के हैं या लड़कियां। पर कुछ बच्चों के यौनांगों को देखकर यह बता पाना मुश्किल होता है कि वे लड़के हैं या लड़कियाँ। हो सकता है कि उनके कुछ बाहरी यौनांग लड़के और कुछ लड़की की तरह हों या हो सकता है उनके बाहरी यौनांग लड़के की तरह हों पर भीतरी यौनांग लड़की की तरह या इसके विपरीत। ऐसे व्यक्ति जिनमें जन्म से अस्पष्ट यौनांग होते हैं, उन्हें इंटरसेक्स कहा जाता है। 

ट्रांसवेस्टाइट व्यक्ति - जो यौन संतुष्टी के लिए ऐसे कपड़े पहनते हैं जो विशिष्ट रूप से दूसरे जेंडर के लोगों द्वारा पहने जाते हंैं उन्हें ट्रांसवेस्टाइट कहते हैं। ट्रांसवेस्टाइट व्यक्ति ज्यादातर पुरुष होते हंैं जो महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले कपड़े पहनना पसंद करते हंैं। ट्रांसवेस्टाइट लोगों को ‘क्रॉस ड्रेसर’ भी कहते हैं।

प्रश्न ः होमोसेक्सुअल, हेट्रोसेक्शुअल एवं बाईसेक्शुअल का क्या अर्थ है?

उत्तरऽः हेट्रोसेक्सुअल वे व्यक्ति होते हैं जो अपने से किसी दूसरे जेंडर के व्यक्ति की ओर आकर्षर् िमहसूस करते हैं। होमोसेक्शुअल व्यक्ति अपने ही जेंडर के व्यक्ति की ओर आकर्षर् िमहसूस करते हैं (महिलाएं जो दूसरी महिलाओं की ओर आकर्षित होती हैं उन्हें लेस्बियन और पुरुष जो दूसरे पुरुषों की ओर आकर्षित होते हैं उन्हें गे कहते हैं)। बाईसेक्सुअल व्यक्ति वे होते हैं जो अपने जेंडर के व्यक्ति के प्रति आकर्षर् िमहसूस करते हैं और अपने से अलग जेंडर (एक से ज्यादा जेंडर) के प्रति भी आकर्षर् िमहसूस करते हैं।

प्रश्न ः एसेक्सुअल व्यक्ति कौन होते हैं?

उत्तर ः एसेक्सुअल व्यक्ति किसी भी व्यक्ति की ओर यौनिक आकर्षर् िनहीं महसूस करते हैं पर किसी भी अन्य व्यक्ति की तरह वे रोमांटिक आकर्षर् िमहसूस कर सकते हैं और गहरे भावनात्मक रिश्ते बना सकते हैं। निःसंदेह, उनकी भी भावनात्मक जरूरतें होती हैं और अन्य दूसरे लोगों की तरह वे इनको कैसे पूरा करते हैं यह उनका व्यक्तिगत मामला है। वे डेट पर जा सकते हैं, लम्बे अरसे तक भावनात्मक रिश्ते में रह सकते हैं या अकेले रहने का निश्चय भी कर सकते हैं।

प्रश्न ः समलैंगिकता का क्या कारर् िहै?

उत्तरऽःऽ इस प्रश्न का उत्तर देना उतना ही कठिन है जितना यह बताना कि विषमलैंगिकता का क्या कारर् िहै। किसी को भी इसका सही उत्तर नहीं पता। कुछ लोग अविवेकपूरर््ि ढं़ग से सुझाव देते हैं कि हो सकता है कोई महिला लेस्बियन इसलिए बन जाती हैं क्योंकि उनके किसी पुरुष के साथ बुरे अनुभव रहे होंगे, या एक पुरुष गे इसलिए बन जाते हैं क्योंकि किसी महिला ने उनके साथ बुरा बर्ताव किया होगा। अगर यह सच होता तो दुनिया में गे एवं लेस्बियन लोगों की संख्या कही अधिक होती।

प्रश्न ः क्या गे एवं लेस्बियन लोगों का इलाज संभव है?

उत्तर ः मेडीकल साइंस मानती है कि चूंकि गे, लेस्बियन एवं बाईसेक्सुअल लोग बीमार या असामान्य नहीं होते अतः उन्हें किसी ‘इलाज’ की कोई आवश्यकता नहीं होती है। यह कोई असामान्यता या यौन विकृति नहीं है - यह रुझान या अभिव्यक्ति है ठीक उसी प्रकार जैसे कोई व्यक्ति अपने दाएं हाथ का इस्तेमाल करते हैं तो कोई अपने बाएं हाथ का। सभी लोगों को, चाहे वे होमोसेक्सुअल, हेट्रोसेक्सुअल या बाईसेक्सुअल हों, अपनी इच्छाओं के अनुरूप सम्मानपूरर््ि जीवन जीने का पूरा अधिकार है। ‘इलाज’ करवाने से उनके यौनिक व्यवहार में अस्थाई परिवर्तन आ सकते हैं परन्तु इसके कारर् िउनको भावनात्मक एवं अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।

प्रश्न ः क्या सिर्फ एक बार या दो बार अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने से यौन संचारित संक्रमर् िहोने का खतरा है? इस बात का पता कैसे लगेगा कि यह रोग हो गया है?

उत्तर ःऽ यौन संचारित संक्रमर् िआम तौर पर यौन क्रिया के दौरान एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संचारित होते हैं। आप एक बार अप्राकृतिक सेक्स करने से भी संक्रमित हो सकते हैं। आपको इससे यौन संचारित संक्रमर् िहुआ है या नहीं, इस बात का पता तब तक नहीं चलता, जब तक आप अपनी जांच नहीं करवाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कई यौन संचारित संक्रमर्ोिं के कोई प्रत्यक्ष लक्षर् िनहीं होते हैं।  कुछ संक्रमर्ोिं के ऐसे लक्षर् िहोते हैं जो हमें सावधान कर सकते हैं कि हो सकता है हम संक्रमित हो गए हों पर कुछ संक्रमर्ोिं के होने का हमें तभी पता चलता है जब हम अपनी जांच करवाते हैं। 

एक से अधिक लोगों के साथ सेक्स करने या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ सेक्स करने से, जो दूसरे कई साथियों के साथ सेक्स करते हों, एचआईवी या अन्य यौन रोगों के होने का जोखिम बढ़ जाता है। कई लोगों का मानना है कि सेक्स के तुरन्त बाद पेशाब करने, यौनांगों को धोने या किसी एंटीसेप्टिक क्रीम से पोंछने पर संक्रमर् िका जोखिम टल जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि ‘अच्छे घर’ के व्यक्तियों को संक्रमर् िनहीं होगा, अतः उनके साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने में कोई खतरा नहीं है। यह सब भ्रांतियां हैं जो खुद को सुरक्षित रखने में आड़े आती हैं। 

संक्रमर् िके कुछ आम संकेत एवं लक्षर् िहैं - मूत्र त्याग करते समय जलन होना, यौनांगों में या यदि व्यक्ति मुख मैथुन करते हैं तो मुख में खुजली, लालिमा, ददोरे या चकत्ते होना, यौनांगों पर घाव या छाले होना, यौनांगों से असमान्य स्राव होना, यौनांगों से दुर्गंध आना, आदि। यदि किसी व्यक्ति को इनमें से कोई भी लक्षर् िहों तो उन्हें तुरन्त किसी योग्यता प्राप्त डाक्टर के पास जाना चाहिए।

प्रश्न ः आरटीआई एवं एसटीआई क्या हैं?

उत्तर ः रिप्रोडक्टिव ट्रैक्ट इंफेक्शन (प्रजनन पथ में होने वाले संक्रमर्)ि को संक्षेप में आरटीआई कहते हैं। यह उन संक्रमर्ोिं की ओर संकेत करता है जो प्रजनन पथ को प्रभावित करते हैं। आरटीआई उन जीवों की असाधारर् िवृद्धि के कारर् िहोते हैं जो योनि में साधारर्तियः विद्यमान होते हैं या जब यौन संबंध या किसी चिकित्सीय प्रक्रिया के कारर् िजीवार्ुि या सूक्ष्म जीव प्रजनन पथ में प्रवेश कर जाते हैं। सेक्शुअली ट्रांसमिटेड इंफेक्शन को संक्षेप में एसटीआई कहते हैं जो उन संक्रमर्ोिं की ओर संकेत करता है जिनका संचार यौन संपर्क के द्वारा होता है।

प्रश्न ः किसी को यह कैसे पता चलेगा की उन्हें यौन संचारित संक्रमर् िहै? यौन संचारित संक्रमर् िके कितने समय बाद व्यक्ति बीमार हो सकते हैं? 

उत्तर ः जैसा कि नाम से पता चलता है, यौन संचारित संक्रमर् िया एसटीआई एक संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध के माध्यम से फैलता है। एसटीआई के लक्षर् िभिन्न हो सकते हैं तथा संक्रमर् िके एक से तीन सप्ताह के भीतर प्रकट हो सकते हैं। पुरुषों में यौन संचारित संक्रमर् िके लक्षर्ोिं की पहचान काफी आसान है, जो आमतौर पर यौनांगों पर या उनके चारों ओर दिखाई देते हैं। महिलाओं में कई एसटीआई के लक्षर् िशुरू में प्रकट नहीं होते। पुरुषों में दिखने वाले लक्षर्ोिं में लिंग से पीला-सफेद स्राव और अण्डकोष या प्रोस्ट्रेट ग्रंथि में सूजन प्रमुख है। महिलाओं में सबसे सामान्य लक्षर् ियोनि स्राव में बदलाव आना है - जो ज्यादा हो सकता है, पीला या हरा हो सकता है या बदबूदार हो सकता है। दूसरे लक्षर् िजो दोनों में ही पाए जा सकते हैं उनमें छाले, फफोले, फुंसी, पेशाब में जलन, मल द्वार में जलन या स्राव आदि शामिल हैं। यौन संचारित संक्रमर् िकी जांच के लिए आप किसी भी सरकारी अस्पताल या शहर के किसी भी विश्वसनीय पैथालजी प्रयोगशाला में रक्त का परीक्षण करवा सकते हैं। यदि यौन संचारित संक्रमर् िका इलाज न करवाया जाए तो गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर या अन्य कैंसर, हिपटाइटिस या अन्य जटिलताएं हो सकती हैं पर जल्द पता लगने पर और इलाज करवा लेने पर ज्यादातर सभी यौन संचारित संक्रमर् िपूरी तरह ठीक हो सकते हैं।

प्रश्न ः विंडो पीरियड क्या है?

उत्तर ः एचआईवी परीक्षर् िमें शरीर में एचआईवी की उपस्थिति के लिए जांच नहीं की जाती है, वे प्रतिरक्षा प्रर्ािली द्वारा उत्पादित उन एंटीबॉडी की उपस्थिति के लिए जांच करते हैं, जो प्रतिरक्षा प्रर्ािली एचआईवी का सामना होने पर उत्पन्न करती है। एक ‘पाजिटिव’ जांच परिर्ािम के लिए पर्याप्त एचआईवी एंटीबॉडी का उत्पादन करने में शरीर को तीन महीने तक लग सकते हैं। संक्रमर् िऔर सही परीक्षर् िपरिर्ािमों के बीच के इस तीन महीने की अवधि को विंडो पीरियड कहा जाता है। इस दौरान व्यक्ति पहले से ही संक्रमित हो सकते हैं और ऐसे में वे एचआईवी का प्रसार भी कर सकते हैं।

प्रश्न ः एचआईवी और एड्स में क्या अंतर है?

उत्तर ः एचआईवी या ह्यूमन इम्यूनो डिफिशन्सी वायरस एक वायरस है जो यदि एक व्यक्ति के शरीर में मौजूद रहे तो धीरे धीरे, एक अवधि में, उनकी प्रतिरक्षा प्रर्ािली को नष्ट कर देता है। एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रर्ािली के कारर्,ि व्यक्ति में संक्रमर् िऔर रोगों का विकास हो सकता है और इस स्थिति को एड्स कहा जाता है। वर्तमान समय में इसका कोई इलाज नहीं है। हालांकि, संक्रमित होने से अपने आपको बचाने के लिए व्यक्ति कुछ साधारर् िसावधानियों का पालन कर सकते हैं जैसे - सेक्स करते समय हमेशा कण्डोम का प्रयोग करना, रक्त आधान से पहले सदैव रक्त का परीक्षर् िकरवाना, केवल डिस्पोजेबल सीरिंज का उपयोग करना और सुई की साझेदारी न करना।

प्रश्न ः इरेक्टाइल डिस्फंक्शन क्या है?

उत्तर ः इरेक्टाइल डिस्फंक्शन लिंग में उत्तेजना लाने या उसे बनाए रखने की अक्षमता को कहते हैं। यह किसी भी शारीरिक दशा के कारर् िहो सकती है जैसे लम्बी बीमारी, रोग या उम्र का बढ़ना। यह मानसिक कारर्ोिं से भी हो सकता है जो सेक्स या साथी के प्रति अरुचि से लेकर यौन शोषर् िके प्रभाव तक कुछ भी हो सकता है। इरेक्टाइल डिस्फंक्शन किसी भी उम्र में हो सकता है और इसके विभिन्न स्वरूप होते हैं।

प्रश्न ः क्या शीघ्रपतन का कोई इलाज है? क्या व्यायाम या आयुर्वेद या अन्य दवाएँ जो हर जगह इतनी प्रचार में हैं, किसी भी तरह मदद कर सकती हैं?

उत्तर ः सबसे पहले तो कोई भी दवा (आयुर्वेद या अन्य कोई भी) लेने के पहले किसी योग्यता प्राप्त डाक्टर से अवश्य सलाह लें। जब कोई पुरुष वीर्यपात को उस समय तक न टाल पाएं, जब तक दोनों साथी इसके लिए तैयार न हों तो इसे शीघ्रपतन कहते हैं। शीघ्रपतन एक व्यक्तिपरक विषय है। स्खलन का समय प्रत्येक व्यक्ति के लिए अलग एवं एक ही व्यक्ति में अलग अलग समय पर भिन्न हो सकता है। कई पुरुष अपनी यौनिक क्षमता की तुलना ब्लू फिल्मों की भ्रामक या काल्पनिक मानकों से करके आशंकित महसूस करते हैं। शीघ्रपतन के कई कारर् िहो सकते हैं जैसे अधिक उत्तेजित होना, यौन क्रिया के प्रति आशंकित रहना, तनाव या साथी के साथ संबंध में समस्या होना आदि। 

प्रश्न ः कण्डोम इस्तेमाल करने का सही तरीका क्या है? क्या गुदामैैथुन करते समय भी यह जरूरी है?

उत्तर ः कण्डोम ही एक ऐसा तरीका है जो  यौन संचारित संक्रमर् िदोनों से सुरक्षा प्रदान करता है। इसे भारत में सामान्यतः निरोध के नाम से जाना जाता है पर इसके और भी कई ब्रान्ड केमिस्ट के पास आसानी से मिल जाते हैं। कण्डोम खास तरह के रबड़ (लेटेक्स) से बना होता है और लिंग पर पहना जाता है। अप्राकृतिक यौन संबंधों के दौरान इससे संक्रमण से बचाव होता है।

कण्डोम के प्रयोग करने का सही तरीका इस प्रकार है - कण्डोम के पैकेट को कोने से खोलें, इसे बीच से कभी न फाड़ें। अब इस खुले पैकेट को एक ओर से दबाएं और कण्डोम को धीरे से बाहर निकालें। अब कण्डोम को लिंग पर चढ़ाने के लिए उसके बंद सिरे को अपनी उंगली और अंगूठे से दबाते हुए उत्तेजित लिंग पर रखें और धीरे-धीरे खोलते हुए पूरे लिंग पर चढ़ा दें ताकि कण्डोम में कोई हवा न रह जाए। वीर्य स्खलित होने के बाद कण्डोम को धीरे से उतारें और इसके खुले सिरे पर गांठ लगा दें ताकि वीर्य बाहर न निकल पाए। अब इस इस्तेमाल किए हुए कण्डोम को कूड़े में फेंकने से पहले कागज में लपेट दें। यौन संचारित संक्रमर्ोिं से सुरक्षा के लिए यह आवश्यक है कि कण्डोम का सही एवं नियमित प्रयोग किया जाए, यानि हर बार सेक्स करते समय एक नए कण्डोम का सही तरीके से प्रयोग करना!

प्रश्न ः सुना है कि कण्डोम अक्सर फट जाते हैं। इस स्थिति से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

उत्तर ः सामान्य धारर्ाि में कण्डोम को पतला एवं कमजोर समझा जाता है और माना जाता है कि ये आसानी से फट जाते हैं। यह सच नहीं है, यदि ऊपर बताए गए तरीके से कण्डोम का सही प्रयोग किया जाए तो इसके फटने की संभावना बहुत कम होती है। अतः यदि किसी व्यक्ति का कण्डोम बार-बार फट जाता है तो हो सकता है कि वे कण्डोम का सही इस्तेमाल न कर रहे हों। निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखने से कण्डोम के फटने की संभावना न के बराबर रह जाती है। हर कण्डोम एक अलग पैकेट में बंद होता है। इसके पैकेट को ध्यानपूर्वक कोने से खोलें ताकि पैकेट को खोलते समय कण्डोम फट न जाए या उसमें छेद न हो जाए। कण्डोम को लिंग पर चढ़ाने से पहले उसे कभी न खोलें, उसे उत्तेजित लिंग पर रखकर धीरे-धीरे खोलते हुए लिंग पर चढ़ाएँ।

0 कण्डोम के बंद सिरे से हवा को निकाल देना बहुत जरूरी होता है क्योंकि इसी जगह पर लिंग से निकलने वाला वीर्य इकट्ठा होता है। यदि वीर्य इकट्ठा होने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होगी तो कण्डोम फट सकता है।

0 यदि आप दो कण्डोम एक साथ प्रयोग करने के बारे में सोच रहे हैं तो इस विचार को तुरन्त छोड़ दें क्योंकि इससे कंडोम के बीच का घर्षर् ि(रगड़) बढ़ेगा और साथ ही कण्डोम के फटने की संभावना भी।

0 प्रयोग से पहले कण्डोम के पैकेट पर लिखी ‘एक्स्पाइरी डेट’ जरूर देख लें और यह भी सुनिश्चित कर लें कि कण्डोम को ‘इलेक्ट्रानिक’ तरीके से जांचा गया हो।

0 कण्डोम के साथ चिकनाई के लिए तेल, वैसलीन या क्रीम का प्रयोग करने से कण्डोम का लेटेक्स खराब हो सकता है और कण्डोम फट सकता है। चिकनाई के लिए केवल जल-आधारित चिकनाई युक्त पदार्थ का ही प्रयोग करें जैसे ‘के-वाई जेली’ या ‘ड्यूरा जेल’ ।

0 कण्डोम को गर्म स्थानों पर रखने से भी उसका लेटेक्स खराब हो सकता है। अतः विदेश से निर्यात किए हुए कण्डोम खरीदने से बचें क्योंकि निर्यात के समय या उसके बाद भी इनके भण्डारर् िकी स्थिति के बारे में निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। यदि आप या आपके साथी भी कण्डोम को किसी गर्म जगह पर रखकर भूल गए हों (जैसे कार में, किसी गर्म मशीन के ऊपर या धूप में) तो उस कण्डोम का प्रयोग न करें।

0 कण्डोम को देर तक जेब में रखने से भी बचें। शरीर की गर्मी या सिक्कों की रगड़ से भी कण्डोम खराब हो सकता है और फट सकता है।

प्रश्न ः कुछ लोग अपनी पत्नी से सिर्फ गुदा मैथुन ही करते हैं जिससे वह गभर्ववती न हों। क्या यह सही है?

उत्तर ः  गुदा मैथुन में संक्रमर् िके संचार का खतरा अधिक होता है और यह गर्भावस्था से भी नहीं बचाता। यह इसलिए है क्योंकि गुदा एवं योनि के बीच की दूरी बहुत कम होती है और गुदा मैथुन के समय वीर्य की कुछ बूंदें योनि में गिर सकती हैं जिससे गर्भधारर् िकी संभावनाएं बनी रहती हैं। इसके अलावा गुदा क्षेत्र में कई प्रकार के जीवार्ुि एवं विषार्ुि होते हैं। गुदा द्वार योनि की तुलना में कम लचीला और ज्यादा सूखा होता है अतः चोट लगने की ज्यादा संभावना होती है। इन सब कारकों की वजह से साथियों के बीच संक्रमर् िका संचार आसान हो जाता है। यदि आप गुदा मैथुन करते हैं तो हमेशा कण्डोम एवं जल-आधारित चिकनाई युक्त पदार्थ जैसे ‘के वाई जेली’ का प्रयोग करें। तेल या क्रीम के उपयोग से संक्रमर् िहो सकता है और कन्डोम का लेटेक्स खराब हो जाता है।

प्रश्न ः बाल शोषण किसे कहते हैं?

उत्तर ः अगर कोई उम्र में बड़ा या ज्यादा ताकतवर व्यक्ति आपके यौनांगों, स्तनों या शरीर के किसी और हिस्से को आपकी मर्जी के बिना छुए या आपको अपने यौनांग दिखाए, आपके शरीर के साथ अपना शरीर रगड़े (कपड़े पहने हुए या बिना पहने हुए), फोन पर या आमने सामने आपसे सेक्स संबंधी बातें करें, आपको कपड़े बदलते हुए या नहाते हुए देखें, आपसे अपने यौनांग छुआए या आपके यौनांग छुए तो यह बाल यौन शोषर् िहै - चाहे छूने वाला व्यक्ति अपने परिवार का हो या बाहर का। किसी व्यक्ति (चाहे वे किसी भी उम्र के हों) की पूरी मर्जी के बिना अगर उनके साथ संभोग किया जाए तो इसे बलात्कार (रेप) कहते हैं। अगर सोलह साल से कम के किसी व्यक्ति की मर्र्जी हो, तो भी उनके साथ किए संभोग को बलात्कार ही माना जाता है क्योंकि उन्हें यौन संबंध एवं उससे जुड़े नतीजों के बारे में ज्ञान नहीं होता है। याद रखें, अगर आपको किसी का छूना गलत लगता है तो इसमें आपकी कोई गलती नहीं है और अगर आप उनके खिलाफ बोलें तो यह बात का बतंगड़ बनाना नहीं है। आपका शरीर सिर्फ आपका है और किसी भी गलत या अनचाहे स्पर्श के लिए ‘न’ कहने का आपको पूरा हक है। उपरोक्त प्रश्न-उत्तर अप्राकृतिक यौन संबंध रखने वालों और समलैंगिको के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। इनका अध्ययन सामान्य सेक्स संबंध रखने वालों के लिए भी उतना ही महत्वपूर्ण है।

J.K.Verma Writer

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