Homosexuality and Unnatural Sex Relations-9 : समलैंगिकता छह प्रकार की होती है
समलैंगिकता का अर्थ है समलिंगी व्यक्ति के प्रति यौन आकर्षण रखना तथा विषमलिंगी के प्रति उदासीनता। यानि किसी पुरुष का यौन संबंधों के लिए आकर्षण स्त्री के प्रति न होकर पुरुष की ओर हो तथा स्त्री का पुरुष की ओर न होकर स्त्री की ओर हो, तो ऐसे लोगों को समलैंगिक कहते हैं। ऐसे लोग समलिंगी से यौन संबंध बनाकर ही सुख और संतुष्टि का अनुभव करते हैं। मेडीकल साइंस इसे कोई बीमारी नहीं मानती, केवल सेक्स च्वायस या फिर मानसिक रूझान मानती है। इसका कारण कोई जैविक दोष, हार्मोंस का असंतुलन, कोई दिमागी समस्या या फिर राक्षसी प्रवृति को माना जाता है।
समलैंगिकता के प्रकार ः आमतौर पर समलैंगिकता दो ही प्रकार की होती है। पहली प्रकार की समलैंगिकता को नर समलैंगिकता कहा जाता है, जिसमें पुरुष पुरुष के प्रति यौन आकर्षण महसूस करता है तथा उसी के साथ सेक्स संबंध बनाकर संतुष्ट होता है तथा दूसरी प्रकार की समलैंगिकता को मादा समलैंगिकता कहा जाता है, जिसमें एक स्त्री दूसरी स्त्री के प्रति यौन आकर्षण महसूस करती है तथा उसी के साथ सेक्स संबंध बनाकर संतुष्ट होती है।
दूसरी ओर यौन व्यवहार के अनेक विशेषज्ञ समलैंगिकता छह प्रकार की बताते हैंः
1. गुप्त समलैंगिक ः ऐसा समलैंगिक छिपी हुई स्थिति में होता है। वह समलिंगी व्यक्ति के प्रति यौन आकर्षण महसूस करता है तथा समाज से ढंक-छिपकर संबंध भी बनाता है, लेकिन जग-जाहिर नहीं होना चाहता। ऐसे व्यक्ति अक्सर अलग-अलग पुरुषों के साथ देखे जा सकते हैं तथा विवाह करने में उनकी कोई रुचि नहीं होती। जब भी परिवार के लोग उनके लिए जीवनसाथी तलाश करते हैं, तो वे उन्हें रोक देते हैं तथा आजीवन अविवाहित रहने की बात करते हैं। लेकिन वे ढंके-छिपे ढंग से समलैंगिक संबंध बनाते रहते हैं।
2. समायोजित समलैंगिक ः इस तरह का समलैंगिक वह व्यक्ति होता है, जिसे बचपन में ही समलैंगिकता का वातावरण मिल जाता है। इससे उसका रूझान समलैंगिकता की ओर हो जाता है तथा विपरीतलिंगी के साथ यौन संबंध बनाने में उसे कोई आंनद नहीं मिलता। वह समलैंगिकता के वातावरण में ही रच-बस जाता है।
3. खुला समलैंगिक ः ऐसे समलैंगिक की प्रवृति ही समलैंगिक की होती है तथा वह उसे नहीं छिपाता। वह समाज को खुला बताता है कि वह समलैंगिक है यौन संबंधों के लिए समलैंगिक को ही पसंद करता है।
4. संस्थागत समलैंगिक ः इस तरह के समलैंगिकों का अपना ही एक ग्रुप बन जाता है। इस तरह के व्यक्तियों को रहने के लिए ऐसी जगह या वातावरण मिलता है कि उन्हें विवश होकर समलैंगिक बनना पड़ता है क्योंकि विपरीत लिंग का व्यक्ति वहां नहीं मिलता। इस प्रकार के समलैंगिक सेना में, मदरसों में या होस्टलों में पाए जाते हैं।
5. समलैंगिक वैश्या ः इनमें पुरुष और महिला दोनों तरह की वेश्याएं होती हैं, जिन्हें केवल पैसे में अधिक दिलचस्पी होती है। लेकिन वेश्यावृति का काम उन्हें समलैंगिक श्रेणी में अधिक मिलता है तथा पैसा भी अधिक मिलता है तो वे समलैंगिक प्रवृति के बन जाते हैं।
6. पीडोफाइल समलैंगिक ः ये वे समलैंगिक होते हैं, जिन्हें सेक्स के लिए कोई पसंद नहीं करता या जिन्हें इसका अवसर नहीं मिल पाता। ऐसे लोग बच्चों के साथ अप्राकृतिक यौन संबंध बनाते हैं। बच्चों की नर्म चमड़ी ही इन्हें संतुष्ट करती है। इस प्रकार के समलैंगिक घोर अपराधी प्रवृति के होते हैं।
भारत की स्थिति
नेशनल एड्स कंट्रोल सोसायटी से मिली जानकारी के अनुसार भारत में समलैंगिकों की संख्या लगभग 26 लाख को पार कर चुकी है, जिनमें से 25 लाख के करीब पुरुष समलैंगिक हैं, जबकि एक लाख के करीब महिला समलैंगिक हैं। सबसे अधिक समलैंगिक महाराष्ट्र में हैं। यहां लगभग 48 हजार समलैंगिक पुरुष रहते हैं, जबकि महिला समलैंगिकों की संख्या 1500 से 2000 के बीच है।
पश्चिमी देशों में यह संख्या सबसे अधिक है। वर्ष 2008 में जब अमेरीका में राष्ट्रपति का चुनाव हुआ था, तब वोटर लिस्ट में कुल जनसंख्या के लगभग चार प्रतिशत लोगों ने स्वयं को गे, लेस्बियन या बाई-सेक्सुअल घोषित किया था। वर्ष 1992 में एक सर्वे हुआ था, जिसके अनुसार ब्रिटेन में 6ण्1 प्रतिशत लोग समलैंगिक पाए गए थे। इसी सर्वे के अनुसार फ्रांस में यह संख्या 4ण्1थी, जबकि नार्वे में 12ण्0 प्रतिशत तथा न्यूजीलैंड में लगभग 3 प्रतिशत थी। विश्व में इस समय कितने समलैंगिक हैं, इसका सही आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। लेकिन अनुमानतः विश्व की कुल जनसंख्या का लगभग 2ण्3 प्रतिशत समलैंगिकों का है।
समलैंगिकों के विवाह
समलैंगिक संबंध होना एक अलग बात है, जबकि दो समलैंगिकों का आपस में विवाह करके हमेशा साथ रहने का निर्णय लेना दूसरी बात है। अनेक ऐसे देश हैं, जो समलैंगिक विवाहों केा मंजूरी दे चुके हैं तथा वहां ऐसे विवाह हो जाना एक आम बात हो गई है। लेकिन भारत में ऐसी शादी कानूनन अवैध है। इतना ही नहीं, अगर किसी और देश में समलैंगिक विवाह करके कोई भारत आ जाए तो उसे विवाहित जोड़े के रूप में पहचान नहीं मिल सकती यानि भारत में ऐसे जोड़े को विवाहित दंपत्ति का दर्जा नहीं दिया जाएगा। भारत में समलैंगिक जोड़ा बच्चा भी गोद नहीं ले सकता।
डेनमार्क पहला देश था, जिसने समलैंगिक जोड़ों को विवाहित दंपत्ति के बराबर माना था तथा उन्हें वर्ष 1998 में आपस में विवाह करने की छूट दी थी।
इसके बाद कुछ अन्य पश्चिमी देशों में समलैंगिक विवाह को छूट मिलने लगी। इसके बाद दिसंबर 2007 में नेपाल की सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार को उन कानूनों को समाप्त करने का निर्देश दिया, जो समलैंगिकों के खिलाफ भेदभाव करते थे।
न्यूयार्क में गे शादियां वैद्य घोषित हो चुकी हैं। वहां की सीनेट इसे वैद्यता प्रदान कर चुकी है। इसके साथ ही न्यूयार्क अमेरीका का छठा सबसे घनी आबादी वाला ऐसा देश बन गया है, जिसमें ऐसी शादियां बैध मानी जाने लगी हैं। यहां की रिपब्लिक पार्टी के नियंत्रर् िवाले सीनेट में यह प्रस्ताव 29 के मुकाबले 33 मतों से पारित हुआ था। डेमोक्रेटिक पार्टी के बहुमत वाले निचले सदन में यह प्रस्ताव पहले ही पारित हो चुका है। यहां समलैंगिक शादी करने वाले दंपत्ति को सामान्य दंपत्तियों की तरह ही हर तरह की सुविधाएं मिलनी शुरू हो गई हैं। न्यूयार्क की कुछ जानी-मानी हस्तियां भी समलैंगिक शादियां कर रही हैं।
सैनिकों से पाबंदी हटा दी है
अमेरिकी ने सेना में समलैंगिकों पर लगे तमाम प्रतिबंध खत्म कर दिए गए हैं। उन्हें नए अधिकार मिल गए हैं। अब वहां के सैनिक बिना डर के बता सकेंगे कि वह समलैंगिक हैं। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के पूर्व सचिव जॉर्ज लिटिल बताते हैं कि रक्षा विभाग नई नीतियों को लागू करने के लिए सभी तैयारियां हो चुकी हैं। 97 फीसदी सैनिकों को नए कानून के तहत ट्रेनिंग दी जा चुकी है। सेना ने नीतियोंें में बदलाव भी कर दिया है। अब कहीं नहीं लिखा है कि सेना में समलैंगिकों पर प्रतिबंध है। समलैंगिक सैनिकों से जुड़े पुराने मुकदमे और जांचें रद्द कर दी गई हैं। समलैंगिकता की वजह से जिन लोगों को सेना ने निकाला गया था, वे फिर से फौज का हिस्सा बन सकेंगे। लेकिन गौर से देखा जाए तो यह आजादी सीमित है। नए नियमों के बावजूद समलैगिंक सैनिकों को सार्वजनिक तौर पर प्रेम का इजहार करने की अनुमति नहीं दी गई है। सैन्य सुविधाओं को लेकर भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। मौजूदा नियम के अनुसार फौजी घायल सैनिक कार्यक्रम के तहत अपने किसी परिवार के साथी का नाम दे सकते हैं। चोट लगने या मृत्यु होने स्थिति में उस साथी को सैन्य सुविधाएं मिलेंगी। समलैंगिक सैनिकों को फिलहाल इस अधिकार से अलग रखा गया है।
वहां की सेना यह भी मानती है कि समलैंगिकता पर प्रतिबंध की वजह से कई युवा फौज का हिस्सा नहीं बनना चाहते थे। लेकिन साथ ही समलैगिंकता को बढ़ावा न देने के लिए कुछ पुराने नियमों को जस का तस रखा गया है। कुछ अमेरिकी सांसद अब भी इसके खिलाफ हैं। उनका तर्क है कि समलैंगिकों को आजादी देने से सेना की कार्यक्षमता पर असर पड़ेगा और अनुशासन भी कमजोर पड़ेगा. इजरायल, इंग्लैंड और जर्मनी की सेना में समलैंगिकों को ऐसे अधिकार पहले ही दिए जा चुके हैं।
अर्जेटाइना मंे हजारों की संख्या में समलैंगिक शादियां हो चुकी हैं। अर्जेटाइना लातिन अमेरिका का पहला ऐसा देश है, जहां समलिंगी विवाह कानूनी रूप से वैध है। गे, बाई एंड ट्रांसजैंडर फैडरेशन के प्रैसीडैंट इस्टबैन पाउलो का कहना है कि देश में समलैंगिकों के विवाह को कानूनी रूप से वैध बनाने के लिए राष्ट्रपति क्रिस्टीना फर्नाडीज ने हस्ताक्षर किए थे।
यहां समलैंगिकों की शादियों की गिनती में बढ़ोतरी बिलकुल वैसे ही हुई जैसे इससे पहले अफ्रीका, कैनेडा तथा मैड्रिड में समलैंगिकों की शादी वैध बनाने पर वहां पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई थी।
विश्व के लगभग 80 देशों में समलैंगिक शादियों को मान्यता प्राप्त नहीं है। अगर किसी अन्य देशों में जाकर कोई समलैंगिक शादी रचा ले, तो उसे इन देशों में भारत की ही तरह मान्यता नहीं दी जाती।
Copywrite : J.K.Verma Writer
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