.Homosexuality and Unnatural Sex relations-3 : अप्राकृतिक यौन संबंध अपनाने वाले कितने प्रकार के होते हैं?

  .अप्राकृतिक यौन संबंध अपनाने वाले कितने प्रकार के?

जो लोग प्राकृतिक यौन संबंधों में रुचि न लेकर अप्राकृतिक यौन संबंध अपनाते हैं, वे कितने प्रकार के होते हैं? उन्हें क्या-क्या कहकर पुकारा जाता है तथा वे किस प्रकार से यौन संबंध स्थापित करते हैं, इस अध्याय में हम विस्तार से यह सब जानने का प्रयास करेंगे।

1. गे ः हिंदी में इन्हें पुरुष समलैंगिक कहा जाता है। जो पुरुष यौन संबंधों के मामले  में दूसरे पुरुषों की ओर आकर्षित होते हैं तथा दूसरे पुरुष के साथ अप्राकृतिक तौर पर मैथुन करते हैं, उन्हें गे कहा जाता है। ये पुरुष आपस में एक दूसरे का हस्तमैथुन, मुख मैथुन व गुदा मैथुन आदि क्रियाएं करके आनंद उठाते हैं। इन पुरुषों की स्त्रियों में कोई रुचि नहीं होती। दुनिया भर में पुरुष समलैंगिकों के अनगिनत जोड़े हैं, जिन्होंने आपस में विवाह भी कर रखे हैं तथा एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं। इन जोड़ों में हाई प्रोफाइल लोग व सेलेब्रिटीज आदि भी शामिल हैं।

2. लेस्बियन ः हिंदी में इन्हें स्त्री समलैंगिक कहा जाता है। जब कोई स्त्री पुरुषों में रुचि न रखकर केवल स्त्री के साथ ही यौन संबंध स्थापित करने में आनंद का अनुभव करती है तो उसे लेस्बियन कहते हैं। ये स्त्रियां आपस में एक दूसरे का स्तन मर्दन करती हैं, स्तनपान करती है, स्तनों से खेलती हैं, हस्तमैथुन करती हैं, मुखमैथुन करती हैं तथा कृत्रिम लिंग जैसी वस्तुओं से एक दूसरे का योनी मैथुन या गुदा मैथुन जैसी क्रियाएं करती हैं।

एक्टिव-पैसिव, सबमिसिव-डोमीनंेट

दोनों ही तरह के समलैंगिक जोड़ों में प्रायः चार प्रकार के व्यवहार सामने आते हैं।  एक्टिव, पैसिव, सबमिसिव और डोमीनेंट। यौन संबंध स्थापित करते समय  समलैंगिक जोड़ों में प्रायः एक पुरुष जैसा व्यवहार करता है तो दूसरा स्त्री जैसा। एक एक्टिव होता है तो दूसरा पैसिव। एक्टिव का मतलब उस शख्स से होता है, जो मैथुन कर रहा होता है। पैसिव वह शख्स होता है, जिसके साथ मैथुन किया जा रहा हो। समलैंगिक जोड़ों में कभी एक्टिव पैसिव बन जाता है तो कभी पैसिव एक्टिव बन जाता है।  ये समलैंगिक जोड़े जब शादी करते हैं तो इनमें एक का व्यवहार पति जैसा होता है तो दूसरे का पत्नी जैसा। मतलब यह है कि दोनों में से कोई एक दूसरे को स्वयं से बलशाली मानते हुए उसे समर्पित रहता है, जबकि दूसरा उसे स्वयं से कमजोर समझते हुए स्वयं को ज्यादा शक्तिशाली मानता है। लगभग हर समलैंगिक जोड़े में प्रायः एक पुरुष की तरह बोल्ड दिखाई देता है तो दूसरा स्त्री की तरह शर्मिला। चाहे यह समलैंगिक जोड़ा पुरुषों का हो, चाहे स्त्रियों का।

अब यह बात तो हुई एक्टिव और पैसिव की। लेकिन सबमिसिव और डोमीनेंट एक और प्रक्रिया है, जो प्रायः समलैंगिक जोड़ों में पाई जाती है। इस प्रक्रिया में एक बहुत ही विनम्र बन जाता है, जिसे सबमिसिव कहते हैं। जबकि दूसरा उस पर बुरी तरह से हावी हो जाता है, जिसे डोमीनेंट कहते हैं। इस प्रक्रिया में डोमीनेंट पार्टनर सबमिसिव पार्टनर के साथ मनमाना व्यवहार करता है और सबमिसिव पार्टनर खुशी-खुशी वह सब झेलता है तथा अपने पार्टनर को खुश करने का पूरा-पूरा प्रयास करता है। इस प्रक्रिया में डोमीनेंट पार्टनर सबमिसिव पार्टनर को तरह-तरह की तकलीफें देकर यौनानंद लेता है और सबमिसिव पार्टनर उसे हंसते हुए झेलता है।

बताया जाता है कि विवाहित पति-पत्नी के यौन संबंधों में प्रायः वैनीला सेक्स होता है। इसका मतलब है एक तरह की कुछ बंधी-बंधाई यौन क्रियाएं, जिनमें कोई नयापन नहीं लाया जाता। जबकि समलैंगिक संबंधों में हर तरह का नयापन लाने का प्रयास किया जाता है। ऐसे संबंधों में कनिलिंगस, फलेशियो और ड्राई सेक्स का भी बहुतायत से प्रयोग हाता है। कनिलिंगस का मतलब है जीभ या मुंह का प्रयोग करके किसी स्त्री के यौनांग को उतेजित करना। जब यही क्रिया पुरुष के गुप्तांग पर की जाती है तो इसे फलेशियो कहते हैं। ड्राई सेक्स का अर्थ है सेक्स के दौरान लिंग एवं योनि के बीच घर्षण को बढ़ाने के लिए योनि या गुदा को कपड़े या औषधि से पूरी तरह सुखाना। इस प्रकार का घर्षण समलैंगिक पुरुषों को आनंद देता है, लेकिन इससे योनि या गुदा के कटने एवं छिलने का खतरा रहता है। इसके अलावा ड्राई सेक्स एचआईवी सहित अन्य संचारित संक्रमणों को भी बढ़ाने के लिए जिम्मेवार होता है। 

3. ट्रांसजेंडर ः हिंदी में ऐसे लोगों को मन से स्वयं का जेंडर स्वीकार न करने वाला कहा जाता है। उदाहरण के लिए कोई पुरुष मन ही मन स्वयं को स्त्री मानता है। उसे लगता है कि वह वास्तव में एक स्त्री है। ठीक इसी प्रकार एक स्त्री स्वयं को दिल से पुरुष मानती है तथा उसी के अनुसार व्यवहार करना चाहती है। ट्रांसजेन्डर व्यक्ति कभी-कभी स्वयं को ‘तीसरे सेक्स’ का यानि किन्नर भी मान लेता है। अगर वह स्त्री है तो वह स्त्री के साथ ही सेक्स करना चाहेगी क्योंकि वह स्वयं को पुरुष जैसा मानती है। इसी प्रकार एक पुरुष पुरुष के साथ ही सेक्स करना चाहेगा क्योंकि वह मन ही मन स्वयं को स्त्री मानता है। इस प्रकार यह श्रेणी भी अप्राकृतिक यौन संबंध स्थापित करने वालों की ही श्रेणी में आती है।

सेक्स, यौनिकता और यौनिक पहचान

अक्सर जब हम अप्राकृतिक यौन संबंधों का जिक्र करते हैं तो हमें सेक्स, यौनिकता (सेक्सुऐलिटी) और यौनिक पहचान (सेक्सुअल आइडंेटिटी) जैसे शब्द सुनने को मिलते हैं। हम ये शब्द सुनकर चौंक जाते हैं क्योंकि हम इनका अर्थ नहीं जानते। आइए हम यह भी जान लेते हैं।

0 सेक्स ः जब बच्चा पैदा होता है तो हम उसके यौनांग को देखकर पता लगाते हैं कि यह कौनसे सेक्स का है। सेक्स लड़का व लड़की के बीच, जन्म से उपस्थित जैविक, संरचनात्मक, शारीरिक एवं गुर्सिूत्री अंतर को दर्शाता है जैसे हम नवजात शिशु की योनि देखकर उसे लड़की मान लेते हैं तथा लिंग देखकर उसे लड़का मान लेते हैं।  इसके अलावा हम सेक्स शब्द का प्रयोग यौन क्रिया को परिभाषित करने के लिए भी करते हैं, जिनमें योनि मैथुन, मुख मैथुन, गुदा मैथुन, हस्तमैथुन एवं चुंबन जैसी कियाओं को शामिल करते हैं। लेकिन हमें यह अच्छी तरह से जान लेना चाहिए कि सेक्स केवल इन्हीं क्रियाओं तक ही सीमित नहीं है। 

0 यौनिकता ः डब्ल्यूएचओ की 2002 की ड्राफ्ट परिभाषा के अनुसार यौनिकता मनुष्य के संपूरर््ि जीवन का महत्वपूरर््ि पहलु है जिसमें लिंग, जेंडर पहचान व भूमिकाएं, यौनिक पहचान, कामुकता, आनंद, घनिष्टता एवं प्रजनन सम्मिलित हैं। यौनिकता विचार, परिकल्पना, इच्छा, विश्वास, अभिवृत्ति, मूल्यों, व्यवहार, अनुभव एवं संबंधों में महसूस एवं अभिव्यक्त की जाती है। यद्यपि यौनिकता के अंतर्गत उपरोक्त सभी पहलू आते हैं परन्तु सभी एक साथ महसूस एवं अभिव्यक्त नहीं किए जा सकते हैं। यौनिकता पर जैविक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, नैतिक, कानूनी, ऐतिहासिक, धार्मिक एवं आध्यात्मिक कारकों का प्रभाव पड़ता है। 

0 यौनिक पहचान ः दूसरी ओर, किसी व्यक्ति की यौनिक पहचान इस बात से निर्धारित होती है कि वह किस जेंडर के व्यक्ति की ओर यौन आकर्षर् िमहसूस करता है। उदाहरर् िके लिए, उनका आकर्षर् िउन्हीं के जेंडर के व्यक्ति के प्रति हो सकता है (समलंैंगिक), अपने से अलग जेन्डर के व्यक्ति के प्रति हो सकता है (विषमलैंगिक) या एक से अधिक जेंडर के व्यक्तियों के प्रति हो सकता है (द्विलैंगिक)।

जेंडर और सेक्स एक नहीं हैं

 जैसा कि पहले बताया गया है, सेक्स महिलाओं एवं पुरुषों के बीच, जन्म से उपस्थित जैविक, संरचनात्मक, शारीरिक एवं गुर्सिूत्री अन्तर को दर्शाता है जैसे योनि या लिंग की उपस्थिति, मासिक धर्म या शुक्रार्ुि उत्पादन, आनुवांशिक बनावट में अंतर आदि। दूसरी ओर, समाज महिला एवं पुरुष को कैैसे देखता है, कैसे उनमें अंतर करता है तथा उन्हें क्या भूमिकाएं प्रदान करता है, उन्हें जेंडर कहा जाता है।

सेक्स की पहचान जन्म के साथ जरूर हो जाती है, लेकिन जेंडर की पहचान व्यक्ति द्वारा स्वयं तय की जाती है कि वे स्वयं को पुरुष की श्रेर्ीि में रखना चाहते हैं, महिला की श्रेर्ीि में रखना चाहते हैं या किसी भी श्रेर्ीि में नहीं रखना चाहते हैं। व्यक्ति कैसे कपड़े पहनता है, कैसा व्यवहार करता है, उसके निजी रिश्ते किसके साथ हैं और वह स्वयं को क्या मानता है, इससे समाज उस व्यक्ति का जेंडर तय करता है। ट्रांसजेंडर इसी को कहते हैं। जब एक व्यक्ति पुरुष होते हुए स्वयं को पुरुष स्वीकार नहीं करता, महिला बना रहता है, या फिर एक स्त्री स्वयं को पुरुष मानती है तथा उसी की तरह व्यवहार करती है तो वह ट्रांसजेंडर की श्रेणी में आती है।

ट्रांसजेंडर लोगों की इच्छाओं और भावनाओं को समझ सकते हैं तथा ऐसे लोगों के बारे में काफी बातें जान सकते हैं। हम यह भी कह सकते हैं कि ट्रांसजेंडर शब्द से उन लोगों के व्यवहार की व्याख्या होती है जो अपने जन्म से निर्धारित लिंग के विपरीत लिंग की भूमिका में जीवन बिताते हैं। 

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के बीच हुए कुछ अध्ययनों में उनके यौन झुकाव का अध्ययन किया गया जिसकी लगभग हर रिपोर्ट में ट्रांसजेंडर समूह के सदस्यों  ने बताया कि पूरी आबादी में उनका आकर्षर् ितुलनात्मक रूप से समान लिंग के व्यक्तियों की ओर ही होता है। विभिन्न तरीकों से लिंग और लैंगिक अभिव्यक्ति के निश्चित नियमों को तोड़ने वालों के लिए ट्रांसजेंडर शब्द समान रूप से उपयोग किया जाता है। दूसरे शब्दों में, जब एक व्यक्ति जैविक, कानूनी, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक रूप से अपने लिंग से सरोकार नहीं रखता तो उसे ट्रांसजेंडर कहा जाता है। ट्रांसजेंडर होना किसी भी तरह से यौन अभिविन्यास से संबंधित नहीं है और ना ही इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति विषमलिंगी, द्विलिंगी या समलैंगिक है। लड़के व लड़कियों जैसे विभिन्न लिंगों के व्यक्तियों के प्रति आकर्षर् िके बावजूद भी व्यक्ति के ट्रांसजेंडर होने की संभावना होती है।

4. बाईसेक्सुअल ः हिंदी में ऐसे लोगों को द्विलिंगी या उभयलिंगी कहा जाता है। इन लोगों में वे लोग शामिल होते हैं, जो सेक्स के मामले में अपने जेंडर के अलावा किसी अन्य जेंडर के प्रति भी समान रूप से आकर्षित होते हैं। यानि पुरुष स्त्री के अलावा पुरुष से भी यौन संबंध बनाता है, जबकि स्त्री पुरुष के अलावा स्त्री से भी यौन संबंध बनाती है। सेक्स के मामले में ऐसे लोग जेडर का कोई फर्क नहीं करते, बल्कि स्त्री व पुरुष दोनों से ही यौनानंद उठाते हैं। ये पुरुष व स्त्री के अलावा अगर तीसरा जेंडर भी मिले, तो भी यौन संबंध बनाने में बिल्कुल नहीं हिचकते। ओरगी या ग्रुप सेक्स में ऐसे लोग ही शामिल होते हैं, जो साथी बदल-बदलकर यौनानंद लेते हैं। पुरुष स्त्री से सेक्स करता करता पुरुष से करने लग जाता है, जबकि स्त्री पुरुष से सेक्स करती-करती अचानक स्त्री से यौन क्रियाएं करने लगती है। ये प्रक्रियाएं मिल-जुलकर मनमाने ढंग से भी की जाती हैं।

ये लोग स्वयं को बाई-सेक्सुअल कहलाने की बजाय नॉन-प्रिफिरेंशिल, सेक्सुअल फ्लयूड, एंबी-सेक्सुअल या ऑमनी-सेक्सुअल कहलाना अधिक पसंद करते हैं। जैसा कि हम देखते हैं, बाई-सेक्सुअल लोगों की कोई साधारण परिभाषा नहीं है। ये बिल्कुल अलग तरह के ही ग्रुप के लोग होते है, जिनमें हिचकिचाहट नाम की कोई चीज नहीं होती तथा जो सेक्स का अधिक से अधिक आनंद उठाना चाहते हैं। 

13 तरह के बाई-सेक्सुअल

बाई-सेक्सुअल व्यवहार के विशेषज्ञ डॉ. जे0आर0लिटल अपने अध्ययन में इच्छाओं व अनुभव के आधार पर 14 तरह के बाई-सेक्सुअल लोगों की पहचान करते हैं। आइए इन सभी तरह के लोगों के बारे में थोड़ा जान लेते हैं।

;पद्ध वैकल्पिक बाई-सेक्सुअल ः इस तरह के बाई-सेक्सुअल लोग पहले अपोजिट सेक्स के साथ जीवन गुजार रहे होते हैं। कुछ समय बाद जब उनकी रिलेशनशिप खत्म हो जाती है, तो वे आगामी पार्टनर के रूप मंें सेम सैक्स से रिलेशन जोड़ लेते हैं। इसके बाद अधिकांश ऐसे लोग फिर अपोजिट सेक्स के व्यक्ति से शारीरिक संबंध जोड़ लेते हैं। 

;पपद्ध हालात से विवश बाई-सेक्सुअल ः इस कैटेगरी में वे लोग आते हैं, जो अपोजिट सेक्स के साथ ही सैक्स संबंध बना रहे होते हैं तथा अपने सेक्स जीवन से पूरी तरह संतुष्ट होते हैं, लेकिन हालात कुछ ऐसे बन जाते हैं कि उस साथी से उन्हें अलग होना पड़ता है तथा हालात के अनुसार वे सेम सेक्स के साथ सेक्स संबंध बना लेते हैं। इस तरह के बाई सेक्सुअल संबंध जेल में, फौज में या फिर एक ही सेक्स के बच्चों वाले स्कूल या हॉस्टल में प्रायः हालात के अनुरूप स्थापित हो जाते हैं। 

;पपपद्ध उपलब्धता पाकर बाई-सेक्सुअल ः कई बार व्यक्ति अपोजिट सेक्स के साथ प्राकृतिक यौन संबंध बनाए होता है। लेकिन कोई ऐसा मौका मिल जाता है, जब व्यक्ति केवल एक नया एक्सपीरियंस लेने के लिए सेम सेक्स के साथ यौन संबंध बना लेता है। ऐसे मौके प्रायः हाई प्रोफाइल लोगों की पार्टियों में उपलब्ध हो जाते हैं। या फिर अचानक कोई समलिंगी किसी कारण से उतेजित कर देता है तथा यौन संबंध बनाने की ऑफर दे देता है।

;पअद्धविशेष उद्देश्य के लिए बाई-सेक्सुअल ः इस तरह के लोग कोई विशेष मकसद पूरा करने के लिए बाई-सेक्सुअल संबंध बना लेते हैं। पैसा पाने के लिए, करियर के लिए या कोई और उद्देश्य पूरा करने के लिए ऐसे संबंध बनाने में नहीं हिचकते। ऐसे लोगों में पुरुष व महिला वैश्याएं, काल गल्र्स, कॉल ब्वायज, ऑफिस गल्र्स, ऑफिस ब्वायज या विवाहित गे-लेस्बियन भी आते हैं।

;अद्ध भावनाओं में बहकर बाई-सेक्सुअलः कई बार पुरुषों के या महिलाओं के अपने ही सेक्स के लोगों के साथ बहुत गहरे संबंध होते हैं। एक दूसरे के अति करीब रहना, मन की हर बात शेयर कर लेना, एक दूसरे से लिपटना-चिपटना, एक दूसरे को छूना आदि कई ऐसी स्थितियां हो जाती हैं, जब भावनाओं में बहकर बाई-सेक्सुअल संबंध बन जाते हैं। कई बार जिन महिलाओं के पति दूर होते हैं, वे भी आपस में इस तरह के संबंध बना लेती हैं। ठीक इसी प्रकार पत्नियों से दूर रहने वाले पुरुष भी बाई-सेक्सुअल संबंध बना लेते हैं।

;अपद्ध ग्रुप सैक्स के शौकीन बाई-सेक्सुअल ः इस तरह के लोग ग्रुप सैक्स के शौकीन होते हैं। वे पार्टियों का आयोजन करते हैं, जिनमें पुरुष, महिलाएं और किन्नर तक को शामिल कर लिया जाता है। फिर वे मिल-जुलकर एक दूसरे से यौन संबंध स्थापित करते हैं। ऐसी पर्टियां बड़े-बड़े शहरों में प्रायः होती रहती हैं। कुछ लोग तो पर्सनल पार्टी या किटी पार्टी के नाम पर ग्रुप सैक्स का आयोजन करते हैं। 

;अपपद्ध  जिज्ञासु बाई-सेक्सुअल ः इस तरह के लोग बाई-सेक्सुअल यौन संबंध केवल यह खोज करने के लिए बनाते हैं कि इनका आनंद कैसा होता है? आमतौर पर ये प्राकृतिक यौनाचार करने वाले ही होते हैं, लेकिन इनके मन में यह चलता रहता है कि पता नहीं अप्राकृतिक यौन संबंधों में किस तरह का आनंद आता है? अपनी मन की जिज्ञासा को शांत करने के लिए ही ये लोग बाई-सेक्सुअल संबंध बनाते हैं। 

;अपपपद्ध शोषित बाई-सेक्सुअल ः इस तरह के लोगों में वे लोग शामिल होते हैं, जिन्हें जोर-जबरदस्ती, डरा-धमकाकर या फिर लोभ-लालच देकर बाई-सेक्सुअल संबंध बनाने पर विवश किया जाता है। पार्न मूवीज बनाने वाले, गंदे वीडियो बनाने वाले और ब्लैकमेलर टाइप के लोग किसी लड़के या लड़की को अपने जाल में फंसाकर उनसे बाई-सेक्सुअल संबंध स्थापित करते हैं तथा अपना उल्लू सीधा करते हैं। 

पगद्ध संतुष्टि के लिए बाई-सेक्सुअल ः इस तरह के लोग बाई-सेक्सुअल संबंध अपनी यौन संतुष्टि के लिए करते हैं। जब तक ये बदल-बदलकर और अलग-अलग तरीके से सेक्स न कर लें, इन्हें यौन संतुष्टि नहीं होती। कई लोगों में इतनी कामवासना भरी होती है कि उन्हें इसे संतुष्ट करने के लिए घंटों सेक्स करना पड़ता है। एक ही साथी से या एक ही सेक्स के साथी से इन्हें संतुष्टि नहीं मिलती।

;गद्ध नशे की झोंक में बाई-सेक्सुअल ः इस तरह के बाई-सेक्सुअल लोग वे होते हैं, जो आमतौर पर प्राकृतिक तरीके से ही सेक्स करते हैं। लेकिन कई बार वे शराब या अन्य नशीले पदार्थ के नशे में इस तरह का सेक्स कर जाते हैं। नशे की झोंक में वे पुल्लिंग और स्त्रिलिंग का फर्क ही भूल जाते हैं। उन्हें इतना तक होश नहीं रहता कि वे किसके साथ और किस तरीके से सेक्स कर रहे हैं।

;गपद्ध अलग-थलग बाई-सेक्सुअल ः ये वे लोग होते हैं, जो समाज से अलग-थलग होते हैं। समाज में वे रच-बस नहीं पाते तथा सेक्स के लिए जिस तरह का भी जेंडर उपलब्ध होता है, उसी के साथ आनंद लेने की कोशिश करते हैं।  वैसे आमतौर पर ये लोग प्राकृतिक ढंग से सेक्स को ही वरीयता देते हैं, लेकिन किसी अन्य जेंडर के साथ सेक्स करने से इन्हें कोई परहेज नहीं होता।

;गपपद्ध छिपा हुआ बाई-सैक्सुअल ः ये वे लोग होते हैं, जो गे, लेस्बियन या स्ट्रेट होते हैं, लेकिन उनके मन में यह तीव्र इच्छा होती है कि वे सेम सैक्स के लोगों के साथ यौन संबंध बनाकर देखें। इस तरह के लोग प्रायः जीवन में इस तरह की इच्छा पाले रहते हैं, लेकिन आमतौर पर बाई-सेक्सुअल संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं होते। केवल इनकी कल्पनाओं में ही बाई-सेक्सुअल यौन संबंध चलते रहते हैं।

;गपपद्ध उत्तेजित बाई-सैक्सुअल ः ये आमतौर पर वे लोग होते हैं, जो हैटरोसेक्सुअल ही होते हैं। यानि अपोजिट जेंडर के साथ प्राकृतिक तौर पर यौन संबंध बनाते हैं या फिर गे या लेस्बियन होते हैं। लेकिन जब उनका सैक्स पार्टनर किसी अलग जेंडर के व्यक्ति के साथ सेक्स संबंध बनाने के लिए प्रेरित करता है, गुदगुदाता है या उतेजित करता है, तो वे बाई-सेक्सुअल संबंध बनाने के लिए तैयार हो जाते हैं। 

;गपपपद्ध विवाह से बाई-सैक्सुअल ः ये ऐसे लोग होते हैं, जो विवाह से पहले समलैंगिक सेक्स करते हैं और बाद में परिवार की मर्जी से विवाह होने पर अपोजिट जेंडर से सेक्स करते हैं। आगे चलकर इन्हीं में से अनेक लोग मौका पाते ही फिर कहीं न कहीं समलैंगिक सेक्स करते रहते हैं तथा अपने जीवनसाथी के साथ यानि अपोजिट सेक्स के साथ भी यौन क्रिया करते हैं। इस प्रकार इनकी लाइफ बाई-सेक्सुअल चलती रहती है। 

इन तेरह प्रकार के द्विलिंगियों या उभयलिंगियों में ज्यादातर लोग स्वयं को बाई-सेक्सुअल नहीं मानते। लेकिन ये लोग पुरुष और स्त्री दोनों की ही ओर आकर्षित होते हैं तथा उनसे यौन संबंध बनाने में नहीं हिचकते तो इन्हें तथ्य के आधार पर बाई-सेक्सुअल ही कहा जाएगा। 

वास्तविकता यह है कि दुनिया में करोड़ों की संख्या में बाई-सेक्सुअल लोग हैं। लेकिन इनमें से अधिकांश उजागर नहीं होते, स्वयं को छिपाए रखते हैं। केवल ये लोग आपस में ही एक दूसरे को अच्छी तरह पहचानते हैं। कई बाई-सेक्सुअल लोग गे, लेस्बियन और ट्रांसजेंटर समुदायों से भी संबंध बनाए रखते हैं। ये लोग ऐसे समुदायों द्वारा आयोजित पार्टियों में जाते हैं तथा उनके साथ यौन संबंधों का आनंद लेते हैं। लेकिन कई गे और लेस्बियन ऐसे लोगों को बिल्कुल पसंद नहीं करते तथा उन्हें अपने पास भी नहीं फटकने देते। लेकिन इस वक्त बाई-सेक्सुअल लोगों के अपने खुद के अनेक गु्रप हैं।

आपसी व्यवहार

बहुत से गे व्यक्ति महसूस करते हैं कि बाई-सेक्सुअल पुरुष गे होते हैं। इसलिए वे उनसे दोस्ती करने में नहीं हिचकिचाते। लेकिन कई स्ट्रेट पुरुष यानि ऐसे पुरुष जो केवल स्त्री से ही यौन संबंध बनाते हैं, उनके मन में गे पुरुषों के प्रति मन में एक अंजाना भय समाया रहता है तथा मन में घृणा भी उठती है। वे समझते हैं कि पुरुष की पुरुष से यौनक्रिया केवल उत्पीड़न या शारीरिक हिंसा है। इस तरह से बाई-सेक्सुअल लोगों से दूरी बनाकर रखते हैं। इसी तरह कुछ स्ट्रेट महिलाएं, यानि वे महिलाएं जो केवल पुरुष से ही यौन क्रिया करती हैं, बाई-सेक्सुअल पुरुषों से दूर रहती हैं। उनकी सोच रहती है कि इस प्रकार के पुरुष एड्स फैलाते हैं।

इसके अलावा लेस्बियन महिलाएं बाई-सेक्सुअल महिलाओं पर यकीन नहीं करतीं। उनकी सोच रहती है कि ये महिलाएं उनके दुश्मन यानि पुरुष के साथ सोती हैं। इसी प्रकार स्ट्रेट महिला भी बाई-सेक्सुअल महिला से दूरी बनाकर रखती है। उन्हें भय रहता है कि वे उन्हें भी बाई-सेक्सुअल बना सकती हैं।

5. ट्रांससेक्सुअल  ः हिंदी में इन्हें लिंग परिवर्तन करवाने वाले व्यक्ति कहा जाता है। ये लोग वास्तव में ट्रांसजेंडर व्यक्ति ही होते हैं, जो अपने जेंडर को बदलने के लिए चिकित्सीय उपाय अपनाते हैं और अपने शरीर में बदलाव लाते हैं। शारीरिक जेंडर को बदलने के लिए ऑपरेशन, हार्मोनयुक्त दवाइयों एवं दूसरी प्रक्रियाओं का सहारा लिया जाता है। ये लोग अपनी स्वयं की पहचान समलैंगिक, द्वीलैंगिक या विषमलैंगिक व्यक्ति के रूप में कर भी सकते हैं और नहीं भी। हो सकता है वे ‘पुरुष से महिला ट्रांससेक्शुअल’ या ‘महिला से पुरुष ट्रांससेक्शुअल’ कहलाना पसंद करें या हो सकता है वे इनमें से किसी भी पहचान का चयन न करें। आइए, एक सच्ची घटना से ट्रांससेक्सुअल लोगों के बारे में जानते हैं।

एरिन एंड्रयू और केटी हिल

टीनएजर लड़का एरिन एंड्रयू और लड़की केटी हिल की जोड़ी आज देखने में किसी भी आम कपल की तरह दिखाई देती है, लेकिन आप यह सुनकर बुरी तरह चौंक सकते हैं कि पहले एरिन एक लड़की थी, जिसे एमराल्ड कहकर बुलाया जाता था और केटी एक लड़का था, जिसका नाम ल्यूक था।

अमेरिका के ओक्लाहोमा में रहने वाले एरिन (17 साल) और केटी (19 साल) ने ऑपरेशन के जरिए अपना जेंडर बदल लिया है और अब वे अपनी मर्जी के मुताबिक जिंदगी के मजे ले रहे हैं। यूनिवर्सिटी की छात्रा केटी की एक साल पहले जेंडर रिअसाइनमेंट सर्जरी हुई थी। एक अज्ञात शख्स ने उसके ऑपरेशन के लिए 35ए000 डॉलर्स दान में दे दिए थे, जिसकी बदौलत वह अपना जेंडर बदल पाई।

एरिन अभी स्कूल में ही पढ़ता है और उसने ऑपरेशन के जरिए अपने दोनों स्तन निकलवा दिए हैं। अब वह गर्व के साथ टॉपलेस घूम रहा है। ऑपरेशन से पहले एरिन को अपना शरीर अपना नहीं लगता था। उसे लगता था कि वह एक लड़का है तथा स्तन और योनि उसके शरीर पर बोझ हैं। वह टॉपलेस होकर घूमना चाहता था, लेकिन नहीं घूम पाता था। वह फिर भी लड़कों वाले कपड़े पहनता था तथा नीचे से अपने स्तनों को बंाधकर रखता था। एरिन का कहना है कि अब वह टैंक टॉप पहन सकता है, जिसे पहले नहीं पहन पाता था। अब वह शर्ट उतारकर स्विमिंग करने जा सकता है। देर रात तक बाहर घूम सकता है और किसी भी दूसरे लड़के की तरह जिंदगी बिता सकता है।

दूसरी ओर केटी हिल का कहना है कि उसे अपने लड़के वाले शरीर से अरुचि होती थी। उसे हमेशा लगता था कि वह एक सुंदर लड़की है, जिसे किसी लड़के को प्यार करना चाहिए। अपना गुप्तांग उसे बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था तथा उसकी इच्छा थी कि उसके सुंदर स्तन और योनि हो। कोई स्वस्थ और सुंदर युवक उसके साथ संभोग करे और वह उसका आनंद ले। अब उसकी इच्छा पूरी हो गई है। अब उसका शरीर उसे बिल्कुल अजीब नहीं लगता।

केटी और एरिन की मुलाकात लगभग दो साल पहले ट्रांसजेंडर टीनएजर्स को सहयोग देने वाले एक ग्रुप के जरिए हुई थी। पहली मुलाकात में ही दोनों ने अपने अनुभव साझा किए थे और इस तरह वे एक-दूसरे के करीब आ गए थे। केटी कहती हैं कि एरिन सिर्फ उसका एरिन है। हम दोनों ने ऑपरेशन करवा लिया है तथा अपनी पसंद का शरीर प्राप्त कर लिया है, जिससे हम दोनों बहुत ही सुखी और आनंदित हैं। 

इस उदाहरण से हम ट्रांससेक्सुअल लोगों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। दुनिया भर में ट्रांससेक्सुअल लोगों के अनेक उदाहरण मिलते हैं। अनेक सेलेब्रिटीज और हाई प्रोफाइल लोगों ने ऑपरेशन या दवाईयों से अपना जेंडर बदला है तथा अब अपने मनपसंद जेंडर के साथ जी रहे हैं। 

6. ट्रांसवेस्टाइट और क्रॉस जेंडर ः हिंदी में ऐसे लोगों को प्रतिजातीय वेशधारी कहा जाता है। ऐसे यौन संतुष्टि के लिए ऐसे कपड़े पहनते हैं जो विशिष्ट रूप से दूसरे जेंडर के लोगों द्वारा पहने जाते हैं। ऐसे लोगों को ट्रांसवेस्टाइट कहते हैं। ट्रांसवेस्टाइट व्यक्तियों में अधिकतर पुरुष पाए जाते हैं, जो महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले कपड़े पहनना पसंद करते हैं। अगर इस कैटेगरी की महिलाएं पुरुषों जैसे कपड़े पहनकर सेक्स का आनंद अनुभव करती हैं, तो ऐसी महिलाओं को क्रास जेंडर कहा जाता है।

7. इंटरसेक्सः हिंदी में ऐसे लोगों को दोहरे यौनांगों वाला बोला जाता है। इस तरह के पुरुषों में लिंग की जगह प्रायः योनि होती है, जबकि स्त्रियों के उपर तो स्वस्थ और आकर्षक स्तन होते हैं, लेकिन योनि की जगह लिंग होता है। इन्हें शी-मेल या ही-फिमेल के नाम से भी पुकारा जाता है। शी-मेल उस स्त्री को कहा जाता है, जिसका उपर का शरीर बिल्कुल स्त्रियों वाला होता है, लेकिन गुप्तांग पुरुषों जैसा होता है। ही-फिमेल उस व्यक्ति को कहा जाता है, जो उपर से तो स्वस्थ पुरुष की तरह दिखता है, लेकिन जिसका गुप्तांग स्त्रियों जैसा होता है।

इंटर सेक्स लोगों के बारे में बताया जाता है कि ज्यादातर बच्चे जब पैदा होते हैं तो उनके बाहरी यौनांगों को देखकर बताया जा सकता है कि वे लड़के हैं या लड़कियां। पर कुछ बच्चों के यौनांगों को देखकर यह बता पाना मुश्किल होता है कि वे लड़के हैं या लड़कियां। हो सकता है कि उनके कुछ बाहरी यौनांग लड़के और कुछ लड़की की तरह हों या हो सकता है उनके बाहरी यौनांग लड़के की तरह हों पर भीतरी यौनांग लड़की की तरह या इसके विपरीत। ऐसे व्यक्ति जिनमें जन्म से अस्पष्ट यौनांग होते हैं, ऐसे लोगों को इंटरसेक्स चाइल्ड कहा जाता है। 

8. मेट्रोसेक्सुअल ः हिंदी में ऐसे व्यक्ति को सेक्स के मामले में स्वच्छंद व्यक्ति बताया जाता है। इस तरह का व्यक्ति एक भरपूर जवान युवक होता है तथा उसके पास खर्च करने के लिए बहुत पैसा होता है। ऐसा व्यक्ति प्रायः महंगे मालों में घूमता हुआ मिलता है, या फिर होटलों, रेस्तराओं, क्लबों, जिमों और सौंदर्य प्रसाधनों की दुकानो में मिलता है। ऐसा व्यक्ति गे, स्ट्रेट या बाईसेक्सुअल किसी भी रूप में मिल सकता है। यह किसी भी रूप में स्वयं के लिए खुशी तलाश करता है।

9. जू-सेक्सुअल ः ऐसा व्यक्ति इंसानों से कहीं ज्यादा पशुओं से सेक्स करने में रुचि लेता है। उसे पशुआंे में इंसानों से कहीं ज्यादा आनंद आता है। ऐसे इंसानों में पुरुष और स्त्रियां दोनों ही होती हैं। पुरुष जहां भैंसों, बकरियों, भेड़ों व घोड़ियों आदि से सेक्स करते हैं, वहीं महिलाएं प्रायः कुत्तों को अधिक वरीयता देती हैं। वे अच्छी नस्ल के कुत्ते पालती हैं तथा उनके साथ सेक्स करती हैं। इसके अलावा कुछ बोल्ड किस्म की महिलाओं को गधों और घोड़ों से भी सेक्स करते हुए पाया गया है। जो इंसानों में रुचि न लेकर पशुओ से यौन संबंध कायम करते हैं, उन्हें जू-सैक्सुअल कहा जाता है। 

10.पोली सेक्सुअल ः हिंदी में इसे दो जेंडर से अधिक के साथ यौन संबंध बनाने वाला बताया गया है। ऐसे लोग ग्रुप सेक्स पार्टी आदि आयोजन करते हैं, जिनमें पुरुष और स्त्रियों के साथ शी-मेल, ही-फिमेल या हिजड़ों आदि को भी शामिल किया जाता है। पोली सेक्सुअल व्यक्ति केवल एक या दो जेंडर्स से ही सेक्स नहीं करता, बल्कि उसे दो से ज्यादा जेंडर के साथ सेक्स करने में आनंद मिलता है।

11. पैनजेंडर सेक्सुअल ः इस प्रकार के व्यक्ति दुनिया के सभी जेंडर्स के लोगों के प्रति समान रूप से आकर्षित होते हैं। इन लोगों में ऐसा बिल्कुल नहीं होता कि किसी एक या दो जेंडर्स ही इन्हें आकर्षित करते हों। ये कभी भी किसी भी जेंडर के प्रति आकर्षित हो जाते हैं तथा उनके साथ यौन संबंध बनाने को आतुर हो उठते हैं।

कामसूत्र का कथन

सेक्स के महान ग्रंथ कामसू़त्र में आचार्य वात्स्यायन ने प्राकृतिक मैथुन के अलावा अन्य सभी तरह की सेक्स क्रियाओं को अप्राकृतिक यौन संबंध करार दिया है। उनका कहना है कि हस्तमैथुन, मुखमैथुन, गुदा मैथुन, पशु मैथुन या फिर किसी कृत्रिम अंग से यौन उतेजना को शांत करना आदि सभी क्रियाएं अप्राकृतिक यौन संबंधों में आती हैं। 

पैराफीलिया विकार का मतलब

पैरा का मतलब होता है सामान्य से हटकर और फोलिया का मतलब होता है प्रेम। जब कोई व्यक्ति सेक्स संबंधों में असामान्य व्यवहार करने लगता है। सेक्स को लेकर तरह-तरह की कल्पनाएं करने लगता है और असामान्य तरीकों से निर्जीव वस्तुओं, पशुओं या बच्चों से यौनानंद लेने लगता है, तो इसे पैराफिलीक विकार कहा जाता है। आमतौर पर पुरुष इस विकार के अधिक शिकार होते हैं, जबकि महिलाओं में ऐसी स्थिति बहुत कम देखने को मिलती है। जाने-माने सेक्सोलोजिस्ट डॉ. प्रकाश कोठारी ने अपने एक लेख में इस विकार पर विस्तार से प्रकाश डाला है। उनका कहना है कि कुछ लोगां को अंग प्रदर्शन करने में, कुछ को तांक-झांक करने में, कुछ को सेक्स के वक्त दूसरों को पीड़ा देने में लैंगिक आनंद आता है। दरअसल इस प्रकार के लोग पैराफीलिया के शिकार होते हैं। उनका मानना है कि  इस तरह के लोगों की दस श्रेणियां होती हैं। आइए, देखते हैं कि वे कौनसी दस श्रेणियों के बारे में बताते हैं ः 

1ण् फेटिशिज्म ः इस अवस्था में व्यक्ति किसी के अधोवस्त्र, सैंडिल, जूते या अन्य वस्तुओं का स्पर्श पाकर उतेजना महसूस करता है। अनेक ऐसे पुरुष पाए गए हैं, जो स्त्रियों की ब्रा, अंडरवियर, उनके द्वारा उतारे गए वस्त्र, जूते, सैंडिल, उनके द्वारा प्रयोग किया गया कंघा आदि को सूंघकर या स्पर्श करके तीव्र कामोत्तेजना का अनुभव करते हैं। इसी तरह स्त्रियों पुरुषों के इसी तरह के सामान का प्रयोग करके उत्तेजित होती हैं।

2. ट्रांस्वेस्टिजम ः जो व्यक्ति विपरीत लिंगी के कपड़े पहनकर कामोत्तेजना का अनुभव करते हैं। स्त्रियां पुरुषों के तथा पुरुष स्त्रियों के कपड़े पहनने मात्र से उत्तेजित हो जाती हैं तथा काम सुख का अनुभव करने लगती हैं।

3. जूओफिलिया ः ऐसे लोगों को इंसानों के साथ कामसुख नहीं मिलता, बल्कि ये असली आनंद की प्राप्ति जानवरों के साथ सेक्स करके करते हैं। ये लोग बकरी, कुत्ते, गाय, बैल, भेड़ व घोड़े या उंट आदि से सेक्स करते हैं।

4. पीडोफिलिया ः इस मनोदशा से ग्रस्त व्यक्ति बच्चों या किशोरवय लड़के-लड़कियों के साथ सेक्स करके ही संतुष्टि का अनुभव करते हैं। यह मनोदशा स्त्रियों या पुरुषों दोनों की हो सकती है।

5. एग्जीबिश्निज्म ः ऐसे लोग जब सार्वजनिक रूप से अपना अंग प्रदर्शन करते हैं और कोई व्यक्ति खासकर महिला इससे हैरान-परेशान हो जाए, डर जाए, तो ेइस व्यक्ति को सेक्स संतुष्टि होती है।

6. वोयूरिज्म ः इस तरह के लोग दूसरों को सेक्स करता देखकर उत्तेजित होते हैं। इनमें अनेक लोग ऐसे भी होते हैं, जो प्रत्यक्ष तौर पर सेक्स होता नहीं देखते, लेकिन उसकी कल्पना करके ही हस्तमैथुन कर लेते हैं तथा संतुष्टि हासिल करते हैं।

7. मैसोचिज्म ः इस विकार से पीड़ित लोगों को सेक्स के दौरान दर्द महसूस करने पर ही आनंद आता है। जब तक इनका सेक्स पार्टनर इनकी पिटाई न करे, इन्हें प्रताड़ित न करे, तब तक इन्हें यौन संतुष्टि नहीं होती।

8. सेडिज्म ः इस अवस्था में होने पर व्यक्ति तभी उत्तेजित होता है, जब वह सेक्स संबंधों के दौरान अपने पार्टनर को पीड़ा पहुंचाता है। जब तक उसका पार्टनर सेक्स के दौरान चीखता-चिल्लाता नहीं या रोता नहीं, अथवा कराहता नहीं, इन्हें यौन संतुष्टि नहीं होती।

9. फ्रोटेज ः यह वह स्थिति होती है, जब भीड़भाड़ वाली जगह पर, गाड़ी में या बस में, जहां चाहकर भी दूरी कायम न रखी जा सके, वहां पुरुष किसी स्त्री के नितंबों का स्पर्श पाकर तथा स्त्री पुरुष के लिंग का स्पर्श पाकर यौन संतुष्टि प्राप्त करती है।

10. नेफ्रोफिलिया ः हालांकि यह स्थिति बहुत कम देखी जाती है, लेकिन इस प्रवृति का व्यक्ति किसी शव के साथ ही यौन संबंध बनाकर खुश होता है।

11. हाईपोक्सिफीलिया ः यह एक खतरनाक अवस्था है, जिसमें व्यक्ति आनंद को बढ़ाने के लिए मस्तिष्क में ऑक्सीजन कम करता है। इसके लिए वह अपनी गरदन को दबाता है, जिससे मौत तक हो जाती है।

Copywrite : J.K.Verma Writer

Mob. No. 9996666769

jkverma777@gmail.com

टिप्पणियाँ

Homosexuality and Unnatural Sex Relations : J..K.Verma

Homosexuality and Unnatural Sex Relations-22 : अप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता से जुड़े सवाल-जवाब

Homosexuality and Unnatural Sex Relations-23 : समलैगिंक बनो और जो कुकर्म करने हैं, करो

Homosexuality and Unnatural Sex Relations-21 : अप्राकृतिक संबंधों के लिए नशीली दवाएं, इंजेक्शन व उत्तेजक दवाइयां