Homosexuality and Unnatural Sex Relations-11 : समलैंगिकता- क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र
समलैंगिकता ः क्या कहता है ज्योतिष शास्त्र
जब भारत में समलैंगिकता का मुद्दा गर्माया और दिल्ली उच्च न्यायालय ने समलैंगिकता को अपराध के दायरे से बाहर किया तो सारे देश में जैसे एक तूफान सा उठ खड़ा हुआ। जहां मेडीकल साइंस से जुड़े लोगों ने इससे होने वाले हानि-लाभ की चर्चा शुरू कर दी, वहीं ज्योतिषी भी पीछे नहीं रहे। ज्योतिष की अलग-अलग विधाओं के विशेषज्ञों ने भी वे कारण तलाश करने शुरू कर दिए, जो व्यक्ति का रूझान अप्राकृतिक संबंधों की ओर करते हैं या उसे समलैंगिक बनाते हैं।
अनेक ज्योतिषियों ने कुछ समलैंगिकों की तलाश की तथा उनकी जन्मतिथि, जन्मस्थान व जन्म समय का पता लगाया तथा शोध शुरू कर दिया। चिकित्सा जगत के कुछ लोगों ने जल्दबाजी में इसे एक मानसिक विकार बता डाला तो कुछ लोगों ने घोषणा कर दी कि यह किसी किस्म की कोई बीमारी नहीं है, बल्कि सेक्स च्वायस है। ठीक वैसी ही, जैसे किसी को चाय पसंद होती है तो किसी को कॉफी या किसी को दोनों।
ज्योतिषियों ने भी अपना अनुसंधान का कार्य जारी रखा और अंततः परिणाम भी घोषित कर दिया। उन्होंने स्पष्ट घोषणा कर डाली कि ग्रह-नक्षत्रों की चाल ही इंसान को समलैंगिक बनाती है। उन्होंने यह भी घोषणा कर डाली कि समलैंगिक व्यक्ति हमेशा वैसा ही नहीं बना रहता। जैसे ही ग्रह-नक्षत्रों की चाल बदलती है, वैसे ही व्यक्ति का सेक्स रूझान भी बदल जाता है। यानि समलैंगिक व्यक्ति भी विपरीत लिंगी की ओर आकर्षित होने लगता है। ऐसे अनेक ज्योतिषियों की राय अखबारों में भी छपी और टीवी चैनलों पर भी चर्चाएं हुईं। ऐसे अधिकांश ज्योतिषियों की राय है कि ज्योतिष के अनुसार समलैगिकता मानव जीवन में एक दोष है और इसकी उत्पत्ति ग्रह नक्षत्रों से होती है। उनकी दलील है कि यह नक्षत्र दोष कुछ ही राशियों मे देखने को मिलता है और नक्षत्र परिवर्तन के साथ ही दूर हो जाता है। ज्यादातर ज्योतिषियों ने बताया कि यह दोष ज्यादातर कर्क, कन्या और मीन राशि में देखने को अधिक मिलता है।
उनका मानना है कि जब कन्या का गुरु खराब होता है तो वह समलैगिंक हो जाती है। इसी तरह मंगल और शनि के खराब होने से पुरुषों मे समलैगिंकता उत्पन्न हो जाती है। लेकिन जैसे ही ये ग्रह सही दिशा में आते हैं, पीड़ित व्यक्ति सामान्य अवस्था में आने शुरू होे जाते हैं। जिन लोगों की प्रवृति अप्राकृतिक यौन संबंधों की ओर होती है, वह सामान्य जीवन जीने लगता है।
लेकिन इन ज्योतिषियों ने ऐसा कोई आधार नहीं बताया सा प्रमाण नहीं दिया, जिससे इस बात की पुष्टि होती हो कि ग्रह-नक्षत्र ही व्यक्ति को समलैंगिक बनाते हैं। ज्यादातर लोगों का कहना है इस तरह की प्रवृति का ज्योतिष शास्त्र में कहीं कोई उल्लेख नहीं मिलता। जो ज्योतिषी ऐसा कह रहे हैं, वे केवल अपनी दुकानें चमका रहे हैं ताकि अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने वाले या समलैंगिक लोग आकर उनसे संपर्क करें और यह जानने का प्रयास करें कि क्या वे सामान्य बन सकते हैं? वे अपने गृह नक्षत्रों के बारे में जान सकें और उन ज्योतिषियों की कमाई हो सके।
ज्यादातर लोगों को मेडीकल साइंस के उन विशेषज्ञों की बातों पर तो भरोसा है, जो यह कहते हैं कि यह कोई मनोरोग है जो उपचार से ठीक हो सकता है या फिर यह कोई रोग नहीं है, केवल एक रूझान है, लेकिन ज्योतिषियों पर विश्वास कम है, जो यह कहते हैं कि यह गृह नक्षत्रों से होता है और फिर इनकी चाल बदलते ही सब ठीक हो जाता है। इसका कारण यह है कि जिन लोगों की अप्राकृतिक यौन संबंधों की प्रवृति होती है, वह आमतौर पर पूरी उम्र ही बनी रहती है। जो समलैंगिक हैं, वे न जाने कितने ही बरसों से समलैंगिक हैं और सेक्स संबंधों में सामान्य नहीं बन सके। विदेशों में तो समलैंगिक शादियां हो चुकी हैं और अब भी हो रही हैं। कई शादियां तो चालीस या पचास साल पुरानी हो चुकी हैं। अगर ग्रह नक्षत्रों की चालें व्यक्ति का सेक्स रूझान बदल सकतीं, तो ये व्यक्ति तो कभी के विपरीत लिंगी की ओर आकर्षित हो चुके होते और अप्राकृतिक यौन संबंधों को तिलांजलि दे चुके होते।
Copywrite : J.K.Verma Writer
9996666769
jkverma777@gmail.com
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें
Thank you so much for your valuable comments.