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Homosexuality and Unnatural Sex Relations-17 : सेक्स और सेक्सुएलिटी में फर्क

    कुछ लोग सेक्स और सेक्सुएलिटी को एक ही बात मान लेते हैं। उनका मानना है कि यौन क्रियाओं और योनिकता में कोई फर्क नहीं है। लेकिन ये दोनों ही बिल्कुल अलग-अलग क्रियाएं हैं। इस अध्याय में हम यौन क्रियाओं और यौनिकता यानि सेक्स और सेक्सुअल्टी के फर्क के बारे में जानंगे क्योंकि अप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता का इनसे गहरा संबंध है।    सेक्स क्या है सेक्स एक जैविक क्रिया है। यह जननांगों के दृष्ट और शरीर रचना व प्रजनक कार्यों से संबंधित अदृष्ट भेदों से संबंध रखता है। वही सेक्स का एक अर्थ लिंग या स्त्री- पुरुष भेद से भी है। हालांकि इसका अर्थ प्रत्येक व्यक्ति के लिए भिन्न हो सकता हैं। कुछ लोग इसे प्रक्रिया मानते हैं तो कुछ इसे समरसता के रूप में देखते हैं। कुछ अन्य इसे यौनिकता के रूप में ही सीमित करते हैं लेकिन यौनिकता केवल संभोग तक ही सीमित नहीं है बल्कि व्यापक अर्थो में इसमें शारीरिक, भावनात्मक के साथ ही मनोवैज्ञानिक पहलू भी शामिल हैं। इसी तरह सेक्स में यौनिकता के सकारात्मक व नकारात्मक दोनों ही पहलू मौजूद हैं। जब इसके द्वारा आनंद की प्राप्ति होती है तो यह सकारात्मक है, अन्यथा जब यह

Homosexuality and Unnatural Sex Relations-15 : अप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता को लेकर अनेक फिल्में

    अप्राकृतिक यौन संबंधों व समलैंगिकता को लेकर अनेक फिल्में बन चुकी हैं और अभी भी बनाई जा रही हैं। माना जाता है कि ऐसी फिल्में भी लोगों का सेक्स रूझान बदलने के लिए दोषी हैं। एक सामान्य इंसान को भी जब यह सब देखने को मिलता है तो अनायास ही उसके दिल में ऐसे संबंध बनाने की इच्छा जागृत होने लगी है। मौका मिलते ही वे इस तरह के संबंध बनाने की कोशिश भी करते हैं। अनेक लोगों ने स्वीकार किया है कि उन्होंने इस तरह की फिल्में देखने के बाद अपनी पत्नी से अप्राकृतिक सेक्स करने की इच्छा जाहिर की है तथा एक नया अनुभव प्राप्त करना चाहा है। अनेक युवाओं ने भी स्वीकार किया है कि जब उन्हें ऐसा कुछ देखने को मिलता है तो मन के किसी कोने में अप्राकृतिक तौर पर सेक्स करने की इच्छा जोर मारने लगती है। इस अध्याय में आइए हम ऐसी ही कुछ फिल्मों के बारे में जानकारी जुटाने का प्रयास करते हैं।       फायर वर्ष 1996 में बनी दीप मेहता की यह फिल्म 1998 में रिलीज हुई। इसमें शबाना आजमी व नंदिता दास ने जेठानी-देवरानी का अभियन किया है। महिला समलैंगिकता पर आधारित यह कहानी इस्मत चुगतई की कहानी लिहाफ पर बनाई गई है। जैसे ही यह

Homosexuality and Unnatural Sex Relations-16 : अप्राकृतिक यौन संबंध या समलैंगिकता-लोग क्या कहते हैं

        अप्राकृतिक यौन संबंध या समलैंगिकता आखिर क्या है? मेडीकल साइंस, मनोचिकित्सक, धर्मगुरू, सामाजिक शास्त्री या फिर कानून विशेषज्ञ इस पर अलग-अलग राय रखते हैं। लेकिन यह जान लेना भी बहुत जरूरी है कि आखिर वे लोग क्या कहते हैं, जिनका रूझान इसी तरह के संबंधों से है। यानि जो अप्राकृतिक यौन संबंधों या समलैंगिकता को हर तरह से उचित बताते हैं तथा इसे केवल सेक्स च्वायस कहते हैं। जो यह कहते हैं कि उन्हें अपने ढंग से सेक्स करने की छूट मिलनी चाहिए तथा उनके रास्ते में कानून, धर्म या समाज को रोड़ा नहीं अटकाना चाहिए।  हमने ऐसे अनेक लोगों से बात की है, जो अप्राकृतिक यौन संबंधों या समलैंगिकता के पक्षधर हैं तथा जिनका रूझान ऐसे संबंधों की ओर है। वे क्या कहते हैं, आइए इस अध्याय में जानने का प्रयास करते हैं। जिन लोगों ने बातचीत में उनका नाम प्रकाशित न करने को कहा है, तो हम भी इनकी पहचान छिपा रहे हैं तथा उनका नाम बदलकर यहां उनके विचार बता रहे हैं ताकि पाठकों को उनकी प्रतिक्रिया से भी अवगत करवाया जा सके। लेकिन जिन्होंने नाम न छिपाने की बात नहीं कही, उनका असली नाम यहां छापा जा रहा है। आफिया कुमार  दिल्

Homosexuality and Unnatural Sex Relations-14 : इलेक्ट्रोनिक सेक्स टॉयज ऑनलाइन शॉपिंग जोरों पर

       इलेक्ट्रोनिक सेक्स टॉयज ऑनलाइन शॉपिंग जोरों पर अप्राकतिक यौन संबंध बनाने हैं, लेकिन उन पर कानून का कड़ा पहरा लगा है। सेक्स करना है, लेकिन कोई पार्टनर नहीं मिल रहा। मनचाहे ढंग से जब चाहूं, जब तक चाहूं सेक्स करना चाहता हूं, लेकिन इसका कोई इंतजाम नहीं है।  तो फिर ऐसे में क्या किया जाए? इन सभी प्रश्नों का उत्तर अब सेक्स मार्केट ने खोज लिया है। ऐसे ऐसे सेक्स टॉयज बाजार में आ गए हैं, जिनके साथ मनमाने ढंग से सेक्स किया जा सकता है तथा यौन आनंद लिया जा सकता है। इन सेक्स टॉयज से उन लोगों के जीवन में बहार आई है, जो अप्राकृतिक ढंग से या मनमाने तरीके से सेक्स करने के शौकीन हैं। लेकिन यह जान लेना भी बहुत जरूरी है कि भारत में सेक्स टॉयज बनाने और इसकी बिक्री करना गैर-कानूनी है तथा सजा का प्रावधान है। इसके बावजूद यहां सेक्स टॉयज खूब बिक रहे हैं तथा इनका व्यापार लगातार बढ़ता जा रहा है।  पुरुषों के लिए स्त्री की कद-काठी की ऐसी गुड़िया, जिस पर स्त्री के सभी अंग बने हुए हैं और जो देखने पर बिल्कुल स्त्री ही नजर आती है। इसे फोल्ड करके बैग में रखा जा सकता है और जब सेक्स की इच्छा हो तो बैग से निकालकर बेड

Homesexuality and Unnatural Sex Relations-13 : अप्राकृतिक यौन संबंध या समलैंगिकता -क्राइम के मामले

        अप्राकृतिक यौन संबंध या समलैंगिकता से जुड़े क्राइम के न जाने कितने ही ऐसे  मामले हैं, जिन्होंने सभ्य समाज को हिलाकर रख दिया है। अगर हम इन मामलों का अध्ययन करेंगे तो स्वयं सोचने पर विवश हो जाएंगे कि ये मामले इंसानी जीवन के लिए कितने आत्मघाती है। अप्राकृतिक यौन संबंध इंसान को क्या से क्या बनाकर छोड़ते हैं तथा इनअप्राकृतिक यौन संबंध या समलैंगिकता सामने आते हैं। इस अध्याय में आइए हम ऐसे ही कुछ मामलों का अध्ययन करते हैं ः इंटरनेट पर समलिंगी रिश्ता, फिर ठगीे ठार्ेि पुलिस ने पिछले दिनों एक ऐसे गिरोह का पर्दाफाश किया जो इंटरनेट के जरिए लोगों से होमो रिलेशंस बनाता था और फिर मुंबई पुलिस के एक सब इंस्पेक्टर के जरिये उन्हें धमकाकर उनसे रुपयों की उगाही करता था। गिरफ्तार सब इंस्पेक्टर अशोक टेमकर को सलीम सैयद शेख, शिराज शेख, साजिद खान, मोहसिन शेख एवं अजहर उर्फ राहुल सिद्दीकी के साथ ठार्ेि पुलिस के एंटी-एक्सटॉर्शन सेल की कैद में रखा गया और सख्त पूछताछ की गई। अशोक टेमकर मुंबई के माटुंगा पुलिस स्टेशन में ड्यूटीरत था। वह कांस्टेबल पुलिस सेवा में भर्ती हुआ था और विभागीय परीक्षा पास कर सब इंस्पे

Homosexuality and Unnatural Sex Relations-12 : अप्राकृतिक यौन संबंध या समलैंगिकता की शरीयत में सजा मौत

        सं सार का कोई भी धर्म अप्राकृतिक यौन संबंधों या समलैंगिकता के पक्ष में नहीं है। हर धर्म दुराचार से हटकर सदाचार का पाठ पढ़ाता है। कोई भी धर्म ऐसा नहीं है, जो दुराचार का पक्षधर हो। हालांकि समलैंगिकता का जब भी जिक्र आता है, कुछ लोग खजुराहों की नग्न मूर्तियों या वात्स्यायन के कामसूत्र का हवाला देने लगते हैं और साबित करने की कोशिश करते हैं कि समलैंगिकता प्राचीन युग से भारतीय समाज में है। वे इसे भारतीय परंपराओं और संस्कृति का भी नाम देते हैं। जबकि सत्य यह हैं कि भारतीय संस्कृति का मूल संदेश वेदों में वरर््िित संयम विज्ञान पर आधारित शुद्ध आस्तिक विचारधारा हैं। हम सभी जानते हैं कि भौतिकवाद अर्थ और काम पर ज्यादा बल देता हैं जबकि अध्यात्म धर्म और मुक्ति पर ज्यादा बल देता है। वैदिक जीवन में दोनों का समन्वय है। एक ओर वेदों में पवित्र धनार्जन करने का उपदेश है, दूसरी ओर उसे श्रेष्ठ कार्यों में दान देने का उपदेश हैं।  इसी तरह एक ओर वेद में भोग केवल और केवल संतान उत्पत्ति के लिए है।  दूसरी तरफ संयम से जीवन को पवित्र बनाये रखने की कामना है। वेद कहते हैं कि धर्म का मूल सदाचार हैं। सदाचार ही परम